वाटरड्रम के जरीये हवाई नेटवर्क में शामिल होंगे छोटे शहर
जिन छोटे शहरों में अभी कोई हवाई अड्डा या हवाई पट्टी नहीं है उन्हें भी हवाई नेटवर्क से जोड़ने के लिए सरकार वाटरड्रम्स (जलपत्तनों) के विकल्प तलाश रही है। ;
नयी दिल्ली। जिन छोटे शहरों में अभी कोई हवाई अड्डा या हवाई पट्टी नहीं है उन्हें भी हवाई नेटवर्क से जोड़ने के लिए सरकार वाटरड्रम्स (जलपत्तनों) के विकल्प तलाश रही है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्पाइसजेट तथा मेहर एयर ने छोटे शहरों में मौजूद जलाशयों को वाटरड्रम्स में विकसित कर पानी और जमीन दोनों से उड़ान भरने और उतरने में सक्षम एंफीबियन विमानों के परिचालन की पेशकश की है। सरकार इस गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि जलपत्तनों की पहचान और वहाँ एंम्फीबियन विमानों के परिचालन की संभावनाओं के अध्ययन के लिए तीन-चार टीमें बनायी गयी हैं।
अधिकारी ने बताया कि इस दिशा में अभी काफी काम करना शेष है। दुनिया के कुछ दूसरे देशों में वाटरड्रमों से विमानों का परिचालन किया जाता है, विशेषकर पर्यटकों के लिए। लेकिन, देश में यह पहली बार होगा जब वाटरड्रमों का इस्तेमाल शिड्यूल उड़ानों के लिए किया जायेगा। अभी यह देखना है कि वाटरड्रम विकसित करने के लिए और वहाँ परिचालन के लिए किस प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी।
उन्होंने बताया कि लगभग 15 से 16 वाटरड्रमों की पहचान की गयी है जहाँ विमानों के परिचालन की संभावना का अध्ययन किया जाना है। इनमें बाँधों के पीछे जमे पानी या अन्य जलाशयों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए दो महीने का समय दिया गया है। टीमों में नागर विमानन महानिदेशालय के विशेषज्ञ भी शामिल हैं।