वेंकैया नायडू ने सांसदों से की हंगामा नहीं करने की अपील
राज्यसभा में शुक्रवार को उस समय शोर-शराबा और तेज हो गया जब सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सांसदों से सदन को हंगामे की भेंट नहीं चढ़ने देने के बजाय मसलों पर बहस करने का आग्रह किया;
नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को उस समय शोर-शराबा और तेज हो गया जब सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सांसदों से सदन को हंगामे की भेंट नहीं चढ़ने देने के बजाय मसलों पर बहस करने का आग्रह किया। कांग्रेस ने पलटबाजी करते हुए कहा कि यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है। सदन की कार्यवाही आरंभ करने से पूर्व सुबह में नायडू ने सांसदों को सदन की कार्यवाही बाधित करने के बजाय मुद्दों पर बहस करने को लेकर एक संक्षिप्त व्याख्यान दिया।
उन्होंने कहा, "लोग इस बात से क्षुब्ध हैं कि हर दिन संसद का काम-कामज बाधित हो रहा है।"
नायडू ने कहा, "आप शारीरिक रूप से या सदन में पोस्टर लाकर मसलों को नहीं सुलझा सकते हैं। परिचर्चा, और फैसला लीजिए। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि यहां क्या हो रहा है। आप नहीं कह सकते कि या तो मेरे तरीके से चलो या राजपथ से। यह कोई तरीका नहीं है।"
जैसे ही उन्होंने अपना भाषण समाप्त किया कांग्रेस सदस्य सत्यव्रत चतुर्वेदी खड़े हुए और बोले, "सभापति महोदय, आपके द्वारा अभिव्यक्त विचार से कोई असहमत नहीं हो सकता। सदन का काम-काज अवश्य चलना चाहिए। लेकिन मैं आपसे यह जानना चाहूंगा कि आप जो हंगामा देख रहे हैं वह क्या आपके लंबे राजनीतिक कॅरियर में पहली बार हुआ है। क्या आपने पहले कभी नहीं देखा? अतीत में यह सदन पूरे एक महीने तक नहीं चल पाया।"
इस पर नायडू ने कहा कि यह कोई तर्क नहीं है कि अतीत में जो गलती हुई उसे वर्तमान में भी दोहराया जाए।
तेलुगू देशम पार्टी और अन्नाद्रमुक समेत विपक्षी दलों के हंगाम के कारण राज्यसभा में पिछले दो सप्ताह से कोई काम-काज नहीं हो पाया है।
विपक्ष सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी के मामले को लेकर बहस की मांग कर रहा है।