मानवता के लिए वेद अाज भी प्रासंगिक: नायडू

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज कहा कि वेदों में जाति या समुदाय का कोई जिक्र नहीं है और ये विश्व शांति, धार्मिक समरसता ,भाईचारे और सबके कल्याण का संदेश देते हैं। ;

Update: 2017-12-15 16:06 GMT

नयी दिल्ली।  उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज कहा कि वेदों में जाति या समुदाय का कोई जिक्र नहीं है और ये विश्व शांति, धार्मिक समरसता ,भाईचारे और सबके कल्याण का संदेश देते हैं। 

 नायडू ने यहां ‘विश्व वेद सम्मेलन’ का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि मानवता के लिए वेद अाज भी प्रासंगिक हैं । उन्होंने कहा कि वेदों में जाति या समुदाय का जिक्र नहीं है । ऋगवेद के एक श्लोक को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा ,‘समाज में कोई बड़ा या छोटा नहीं है ।

उन्होंने कहा कि वेद ज्ञान के आधार हैं और वे उच्च नैतिक आदर्श बनाये रखने में मदद करते हैं । वे आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीति के क्षेत्र की प्रगति के लिए हमें दिशानिर्देश देते हैं। इनका दर्शन सत्य, अहिंसा, प्रायश्चित, संयम और आध्यात्मिक विकास का है जो मानव जीवन का आधार है। ये धार्मिक समरसता ,समानता और राष्ट्र की प्रगति का संदेश देते हैं । 

उन्होंने कहा कि वेद भारत के प्राचीन ज्ञान और दर्शन के शुरूआती लेखन हैं । हमारी सभ्यता,संस्कृति, विचार और दर्शन का केंद्र वेदों में हैं। 
उप राष्ट्रपति ने कहा कि आर्य समाज के संस्थापक एवं आधुनिक भारत के निर्माता महर्षि दयानंद सरस्वती ने दुनिया को ‘वेदों की ओर लौटो ’ का संदेश दिया ।

पूरब की सभ्यता एवं संस्कृति के ज्ञाता मैक्स मुलर ने भी यही बात की थी। नोबल पुरस्कार से सम्मानित मशहूर दार्शनिक मौरिस मैटरलिंक ने कहा था कि वेद ज्ञान के ऐसे भंडार है जिनकी कोई तुलना नहीं है।

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