राज्यपालों का दो दिवसीय सम्मेलन संपन्न; आदिवासी कल्याण, महिला सशक्तिकरण पर चर्चा
राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के दो दिवसीय सम्मेलन का शनिवार को समापन हो गया। सम्मेलन में केंद्र-राज्य संबंधों को बढ़ावा देने के साथ आम लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन पर भी चर्चा हुई;
नई दिल्ली। राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के दो दिवसीय सम्मेलन का शनिवार को समापन हो गया। सम्मेलन में केंद्र-राज्य संबंधों को बढ़ावा देने के साथ आम लोगों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन पर भी चर्चा हुई।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय 'राज्यपालों का सम्मेलन' आज संपन्न हुआ। समापन भाषण में मैंने आदिवासी कल्याण, महिला सशक्तिकरण, प्राकृतिक खेती और नशीली दवाओं की लत जैसे मुद्दों पर जोर दिया। राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए गठित राज्यपालों के समूहों द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की गई। मुझे विश्वास है कि राज्यपालों द्वारा दिए गए सुझावों को आगे बढ़ाया जाएगा।"
The two-day ‘Conference of Governors’ concluded today at Rashtrapati Bhavan. In her closing remarks, the President emphasised on issues such as tribal welfare, women empowerment, natural farming and drug addiction among others. She appreciated the work done by the groups of… pic.twitter.com/mIQZFRvtd6
समापन सत्र को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी संबोधित किया।
पीएम मोदी ने राज्यपालों से आग्रह किया कि वे केन्द्र और राज्य के बीच एक प्रभावी सेतु की भूमिका निभाएं। राज्यपाल का पद एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो संविधान के ढांचे के भीतर राज्य के लोगों के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
अमित शाह ने राज्यपालों से लोगों में विश्वास पैदा करने के लिए गांवों और जिलों का दौरा करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने सम्मेलन का उद्घाटन करते शुक्रवार को कहा था कि आपराधिक न्याय से संबंधित तीन नये कानूनों के कार्यान्वयन के साथ देश में न्याय प्रणाली का एक नया युग शुरू हो गया है। लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न केंद्रीय एजेंसियां सभी राज्यों में बेहतर समन्वय के साथ काम करें।
उन्होंने राज्यपालों को राज्यों के संवैधानिक प्रमुख के रूप में समन्वय के साथ आगे बढ़ने की सलाह दी। साथ ही राज्यपालों से राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में इस सुधार प्रक्रिया में योगदान देने का भी आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार गरीबों, सीमावर्ती क्षेत्रों, वंचित वर्गों और क्षेत्रों तथा विकास यात्रा में पीछे छूट गए लोगों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। हमारी जनजातीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों में रहता है। ऐसे में इन क्षेत्रों के लोगों का समावेशी विकास हमारा लक्ष्य होना चाहिए।