त्रिपुरा में 994 सीटों पर पंचायत चुनाव कल
त्रिपुरा में त्रि-स्तरीय ग्राम पंचायतों के चुनाव कल होंगे। इस दौरान कुल 6,646 सीटों में से केवल 994 सीटों पर ही मतदान होगा;
अगरतला। त्रिपुरा में त्रि-स्तरीय ग्राम पंचायतों के चुनाव कल होंगे। इस दौरान कुल 6,646 सीटों में से केवल 994 सीटों पर ही मतदान होगा, क्योंकि सत्तारूढ़ भाजपा ने पहले ही निर्विरोध 85 फीसदी सीटों पर जीत दर्ज कर ली है।
त्रिपुरा राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) के एक अधिकारी ने कहा कि कुल 12 लाख 3,070 मतदाताओं में से आठ लाख 54,900 मतदाता 833 ग्राम पंचायतों के साथ ही 82 पंचायत समितियों और 79 जिला परिषद सीटों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। कुल मिलाकर आठ जिलों के अंतर्गत आने वाले 31 ब्लॉकों के 1,848 मतदान केंद्रों पर 2,327 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
मतदान का संचालन करने के लिए 9,500 से अधिक सरकारी कर्मचारियों और वरिष्ठ अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। वोटों की गिनती 31 जुलाई को होगी।
त्रिपुरा के पुलिस उप-महानिरीक्षक (डीआईजी) अरिंदम नाथ ने मीडिया को कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान सुचारु रूप से और शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
एसईसी अधिकारी ने कहा, "माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) और कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने अधिकांश सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे हैं और दोनों पार्टियों ने कई उम्मीदवारों के नामांकन भी वापस ले लिए हैं।"
पंचायत चुनाव शनिवार को 591 ग्राम पंचायतों की 6,646 सीटों (6,111 सीटों), 35 पंचायत समितियों (419 सीटों) और आठ जिला परिषदों (116 सीटों) में होने वाले हैं।
स्थानीय निकायों के लिए होने वाले चुनाव के मद्देनजर इस महीने की शुरुआत में कई झड़पों के साथ चुनावी हिंसा हुई थी, जिसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, माकपा और कांग्रेस के कम से कम 75 नेता और कार्यकर्ता घायल हो गए थे।
पुलिस के अनुसार, चुनाव पूर्व हिंसा और झड़पें मुख्य रूप से दक्षिण त्रिपुरा, पश्चिम त्रिपुरा, खोवाई और उत्तरी त्रिपुरा जिलों में हुईं।
माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा और कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया है कि भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा बड़े पैमाने पर डराए-धमकाए जाने के कारण पंचायत चुनाव के लिए कोई अनुकूल स्थिति नहीं है। इसलिए उनके उम्मीदवारों ने हजारों सीटों पर अपना नामांकन दाखिल ही नहीं किया है।
विपक्षी नेताओं ने मीडिया को स्पष्ट रूप से कहा, "पुलिस और राज्य चुनाव आयोग निष्क्रिय बने रहे और राज्य में हिंसक स्थिति से निपटने के लिए महज दर्शक बने रहे।"
माकपा के राज्य सचिव और पार्टी केंद्रीय समिति के सदस्य गौतम दास ने कहा कि उन्होंने राज्य चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि कुछ रिटर्निग अधिकारी भी भाजपा के पक्ष में काम कर रहे हैं और उन्होंने वाम उम्मीदवारों के वैध नामांकन पत्र भी स्वीकार नहीं किए थे।
दूसरी ओर, आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा नेताओं ने दावा किया कि विपक्षी दलों ने अपने राजनीतिक आधार खो दिए हैं और उन्हें चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार के रूप में कोई भी नहीं मिल रहा है।
पार्टी के प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्जी ने कहा, "माकपा और कांग्रेस दोनों अपनी पक्के तौर पर दिख रही हार के डर से पंचायत चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इसीलिए वे भाजपा के खिलाफ निराधार और फर्जी आरोप लगा रहे हैं।"