परंपरागत रुप से प्रारंभ हो गया पितृपक्ष
पितरों को नमन करने का पर्व पितृपक्ष आज से परंपरागत रुप से प्रारंभ हो गया। आज से पखवाड़े भर तक रोजाना नदी सरोवरो में पौ - फटते ही पितरों को जल अर्पित किया जाएगा;
खरोरा। पितरों को नमन करने का पर्व पितृपक्ष आज से परंपरागत रुप से प्रारंभ हो गया। आज से पखवाड़े भर तक रोजाना नदी सरोवरो में पौ - फटते ही पितरों को जल अर्पित किया जाएगा।
वही घरों में वही घरों में मृत आत्माओं की शांति के लिए धार्मिक प्रवचन के अलावा भिक्षुभोज से लेकर दान - दक्षिण भी किए जाएंगे। पितर को हिंदू धर्म में खास मौके के रूप में गिना जाता है ।
लिहाजा वैदिक मंत्रोपचार के साथ पूजा - हवन भी आहूत किए जाते हैं। मृत्यु पश्चात घर के बड़े - बुजुर्गों की याद में भोजन और उनकी पसंद की वस्तुएं अर्पित की जाती है ।
लोक मान्यता है कि मृतआत्माओं के सतत आशीर्वाद के लिए पितृपक्ष का विशेष महत्व है । इधर आज से नगर के सरोवर और तालाबों में पितरों को जल अर्पित करने के लिए लोगों ने विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की। साथ ही घरों में ब्राह्मण भोज का आयोजन भी होता है घरों में पितृपक्ष के दौरान शांति पूजन का दौर भी चलता है ।
पितृ पक्ष में खास भोजन की मांग होती है खास पूजन की मांग होती है जिसमें तोरई की सब्जी , बरबट्टी से लेकर विशेष मूंग बड़ा भी शामिल है ।
पितृ पक्ष में नवमी के दिन को महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है । मृत हो चुकी स्त्रियों को नमन करने के लिए किस दिन को उपयुक्त माना जाता है नवमी के दिन स्त्रियां की मनपसंद खानपान की वस्तु एवं उनके दैनिक चीजों को अर्पित किया जाता है।