राम मंदिर का मसला योगी का नहीं है, यह मामला उच्चतम न्यायालय के अधीन है : अधोक्षजानन्द

शंकराचार्य ने कहा कि जनता को अच्छी तरह मालुम है कि संसद में उस पार्टी का बहुमत है,जो राम मंदिर बनाने की पक्षधर रही है,लेकिन अब उनकी ईमानदारी पर शक हो रहा है;

Update: 2018-12-09 18:34 GMT

देवरिया। राजनीति में धर्म के बेजा इस्तेमाल की खिलाफत करते हुये पुरी के पीठाधीश्वर जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानन्द महराज ने कहा कि राम मंदिर का मसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नहीं है। यह मामला उच्चतम न्यायालय के अधीन है 

देवरिया में विप्र समागम सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लेने अाये शंकराचार्य ने रविवार को  कहा “ अयोध्या में विवादित स्थल पर राममंदिर निर्माण की वकालत करने वाली भाजपा और उसके नेताओं को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है वरना जनता के बीच उनकी मंशा को लेकर गलत संदेश जाने की संभावना है। ”
उन्होने कहा कि राम मंदिर का मसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नहीं है। यह मामला उच्चतम न्यायालय के अधीन है। न्यायालय के काम करने का अपना तरीका है और वह कर रही है। केन्द्र सरकार इस मसले पर कानून बनाने की पहल कर सकती है। यह उनके अधिकार क्षेत्र का मामला है। 

शंकराचार्य ने कहा कि जनता को अच्छी तरह मालुम है कि संसद में उस पार्टी का बहुमत है,जो राम मंदिर बनाने की पक्षधर रही है,लेकिन अब उनकी ईमानदारी पर शक हो रहा है। राम के नाम पर तीन सीटों से तीन सौ सीटों पर आनेवाली केन्द्र सरकार राम के प्रति अपनी वफादारी नहीं पेश कर रही है।

उन्होने कहा कि ऐसे ऐसे बिल संसद में लाये गये हैं,जो भाजपा के एजेंडे में कभी नहीं रहे और ऐसे बिलों को संसद में पारित कराया गया जिसे उच्चतम न्यायालय ने निरस्त कर दिया था। फिर राममंदिर मसले पर पहल करने में देरी का क्या औचित्य है। 
राजनीति में धर्म के सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि राजनीति में धर्म का इस्तेमाल कुछ पार्टिया कर रही हैं। उन्होंने कहा कि धर्म सत्ता की सीढ़ी नहीं हो सकती।

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