यह केंद्रीय बजट नहीं ‘पांच चुनावी राज्य बजट’है: अशोक गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्रीय आम बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा है कि प्रदेश को इससे बहुत उम्मीदें थी लेकिन प्रदेश की जनता को इससे निराशा ही हाथ लगी हैं;
जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्रीय आम बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा है कि प्रदेश को इससे बहुत उम्मीदें थी लेकिन प्रदेश की जनता को इससे निराशा ही हाथ लगी हैं।
अशोक गहलोत ने केन्द्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि राजस्थान को केंद्रीय बजट से बहुत उम्मीदें थीं लेकिन प्रदेश की जनता को इससे निराशा हुई है। हमें उम्मीद थी कि बजट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा और हर घर नल योजना में राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
राजस्थान को केंद्रीय बजट से बहुत उम्मीदें थीं लेकिन प्रदेश की जनता को इससे निराशा हुई है। हमें उम्मीद थी कि बजट में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा और हर घर नल योजना में राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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उन्होंने कहा कि आमजन के लिए इस बजट में बुरी खबरें ही हैं। पेट्रोल-डीजल पर लगे नए सेस लगाकर पेट्रोल-डीजल की कीमत में कोई राहत नहीं दी है। पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों का असर आखिर में आमजन पर आएगा।
आमजन के लिए इस बजट में बुरी खबरें ही हैं। पेट्रोल-डीजल पर लगे नए सेस लगाकर पेट्रोल-डीजल की कीमत में कोई राहत नहीं दी है। पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों का असर आखिर में आमजन पर आएगा।
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उन्होंने कहा कि बजट का पूरा फोकस सिर्फ चुनावी राज्यों पर रहा। यह केंद्रीय बजट से ज्यादा ‘पांच चुनावी राज्य बजट’ प्रतीत हो रहा है। बजट में बुरे दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था के लिए कोई नीति नहीं है।
बजट का पूरा फोकस सिर्फ चुनावी राज्यों पर रहा। यह केंद्रीय बजट से ज्यादा ‘पांच चुनावी राज्य बजट’ प्रतीत हो रहा है। बजट में बुरे दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था के लिए कोई नीति नहीं है।
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उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय एफडीआई के मुखर विरोधी रही भाजपा सरकार में आने के बाद से एफडीआई को बढ़ावा दे रही है, जिसकी झलक बजट में भी दिखी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर पूर्व में सिर्फ राजनीतिक कारणों से एफडीआई का विरोध करने की जगह देशहित में भाजपा ने संप्रग का सहयोग किया होता तो इस दिशा में देश और भी आगे होता।
यूपीए सरकार के समय FDI के मुखर विरोधी रही भाजपा सरकार में आने के बाद से FDI को बढ़ावा दे रही है जिसकी झलक बजट में भी दिखी। अगर पूर्व में सिर्फ राजनीतिक कारणों से FDI का विरोध करने की जगह देशहित में बीजेपी ने यूपीए का सहयोग किया होता तो इस दिशा में देश और भी आगे होता।
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