हर घर में चौबीसो घंटे मानक पेयजल की सुविधा की जरूरत : मनोज जोशी

केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मामलों के मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी ने देश के शहरी क्षेत्रों में हर घर में भारतीय मानकों के अनुरूप शुद्ध जल की चौबीसो घंटा आपूर्ति की सुविधा की आवश्यकता पर बल दिया है;

Update: 2023-06-19 21:51 GMT

नई दिल्ली। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मामलों के मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी ने देश के शहरी क्षेत्रों में हर घर में भारतीय मानकों के अनुरूप शुद्ध जल की चौबीसो घंटा आपूर्ति की सुविधा की आवश्यकता पर बल दिया है।

उन्होंने कहा कि इससे घर में आरओ जैसे जल शोधन मशीन लगाने और पानी जमा रखने के खर्च में बचत होगी और पानी की गुणवत्ता भी बनी रहेगी। श्री जोशी नयी दिल्ली में ‘जल आपूर्ति और उपचार पर संशोधित और अद्यतन नियमावली को अंतिम रूप देने’ के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार श्री जोशी ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के जल गुणवत्ता मानकों को पूरा करते हुए नल से पेय की सुरक्षित और विश्वसनीय आपूर्ति कराने की सुविधा की आवश्यकता पर जोर दिया। बयान के मुताबिक उन्होंने घरों में भंडारण सुविधाओं या आरओ जैसे घरेलू उपचार संयंत्रों आदि की लागत के रूप में खर्च की गई बड़ी राशि पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पानी को 24इनटू7 के लिए सीधे घरों में आपूर्ति की जानी चाहिए ताकि अतिरिक्त भंडारण की आवश्यकता न हो।

उन्होंने कहा भंडारण से पानी की अधिक गिरावट और अधिक वित्तीय नुकसान होता है। सचिव ने उल्लेख किया कि नवीनतम तकनीकों और डिजाइन प्रक्रियाओं के साथ 25 वर्षों के बाद मैनुअल में संशोधन राज्यों और नगर निकायों के लिए मददगार साबित होगा।

इस कार्यशाला में मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और राष्ट्रीय मिशन निदेशक (अमृत) सुश्री डी थारा, ने मलिन बस्तियों के लिए जल आपूर्ति प्रणाली की डिजाइनिंग, जल आपूर्ति प्रणाली के साथ मानव संसाधन के मानचित्रण और जल आपूर्ति के मामले में महिला सशक्तिकरण के पहलुओं को शामिल करने का सुझाव दिया।

भारत यूरोपीय संघ जल भागीदारी परियोजना की निदेशक सुश्री लौरा सस्टर्सिक नयी नियमावली के दायरे में स्त्री-पुरुष से जुड़े पहलुओं पर भी जोर दिया।

विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में तकनीकी विभागों के प्रमुखों, मुख्य अभियंताओं, नगर अभियंताओं और सभी शहरों में जल आपूर्ति से संबंधित वरिष्ठ अभियंताओं, पीएचईडी/निगमों/बोर्डों/जल निगमों, विशेषज्ञों, पीपीपी भागीदारों, निर्माण फर्मों, सलाहकारों आदि समेत लगभग लगभग 300 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

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