जंगलों में बढ़ा दावानल का खतरा

तेज धूप व गर्मी बढ़ने से जंगलों में दावानल का खतरा बढ़ रहा है।...;

Update: 2017-04-01 13:56 GMT

बिलासपुर। तेज धूप व गर्मी बढ़ने से जंगलों में दावानल का खतरा बढ़ रहा है। फायर सीजन की शुरूआत होने से वन विभाग सिर्फ फायर वाचर के भरोसे जंगल को आग से बचाना चाहता है। फायर वाचर को न तो विशेष पं्रशिक्षण दिया गया है और नहीं कोई स्टूमेंट अथवा कीट दिए गए हैं। हालांकि बीट गार्डों का सहयोग लिया जाता है। अधिकारियों का दावा है कि सबसे ज्यादा खतरा तेन्दूपत्ता संग्राहकों व महुआ एकत्र करने आगजनी का साथ वनक्षेत्र आने जाने वाले लोगों से है।

ज्ञातव्य है कि 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन रहता है। इस बीच जंगल को आग से बचाना सबसे बड़ी चुनौती होती है। पिछले वर्षों कोटा डिपो, रतनपुर की पड़ाड़ी क्षेत्र में आगजनी की बड़ी घटना हो चुकी है। जिससे लाखों रूपए की लकड़ी जलकर राख हो गई थी साथ ही जंगल की हरियाली भी खत्म हो गई। हालांकि एफआईएमएस सेटेलाइट के माध्यम से पूरे जंगल की निगरानी रखी जाती है। बताया जाता है कि जंगलों को आगजनी का सबसे ज्यादा खतरा महुआ एकत्र करने वालों से होता है क्योंकि ये महुआ के लिए पेड़ के नीचे के पत्ते को जलाकर साफ करते हैं इससे ज्यादा आग फैलने की खतरा होता है। साथ ही जंगल के भीतर आने वाले लोग भी लापरवाही पूर्वक आग का इस्तेमाल कर आगजनी को बढ़ावा देते हैं।

बीट गार्ड व फायर वाचर के अलावा जिले के 98 वन प्रबंधन समितियों से भी आगजनी से बचाने के लिए निगरानी करवाई जाती है। लेकिन आधे से ज्यादा वन प्रबंधन समिति वनोंपज एकत्र करने में ही ज्यादा ध्यान केंद्रित करते हैं। खैरा, चपोरा, पुडू, डोमगांव, खुडिया, बिंदावल, छपरवा, जैसे क्षेत्र में वनोंपज की भरमार है। फायर सीजन में वनोपज एकत्र करने पर भी वन विभाग को निगरानी की दरकार है।
डिपो को भी खतरा
जंगल के साथ वन विभाग के डिपो में भी अग्रिकांड की रोकथाम के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं है। जिले में कोटा, रतनपुर, सकरी, खम्हरिया, चिल्हाटी, मस्तूरी, गनियारी व तखतपुर में वनविभाग के डिपो स्थित है। कोटा डिपो में पिछले वर्ष आगजनी की से लाखों की लकड़ी जलकर राख हो गई थी। विभाग द्वारा जांच के नाम सिर्फ खानापूर्ति ही की गई। जंगल के साथ डिपो को भी दावानल से बचाना आवश्यक है।
ये है संवेदनशील क्षेत्र
अब लगातार गर्मी व धूप बढ़ रही है इसी के साथ जंगलों में दावानल का खतरा भी बढ़ गया है। हालांकि पूरा बिलासपुर वन मण्डल में यह खतरा नहीं है। पिछले वर्षों में हुई छिटपुट आगजनी की घटनाएं पर नजर डालें तो खोन्ध्रा, सोठी, बेलमुंडी, खैरा, चपोरा, पुडू व कोटा रेंज के कुछ जंगल में आगजनी की ज्यादा घटनाएं हुई है। रतनपुर के कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में भी आगजनी की घटनाएं हो चुकी है। विभाग के अधिकारियों का दावा है कि आगजनी की घटनाएं को ध्यान में रखकर बीट अनुसार तैयारी की जा चुकी है।
 

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