11 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे होंगे महत्वपूर्ण
उत्तर प्रदेश में आगामी 21 अक्तूबर को 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के नतीजे काफी अहम होंगे;
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में आगामी 21 अक्तूबर को 11 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के नतीजे काफी अहम होंगे और इससे यह भी तय होगा कि साल 2022 में होने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सामने कौन सी पार्टी मुख्य विपक्षी के रूप में होगी ।
राज्य की रामपुर,जलालपुर,प्रतापगढ़,लखनऊ कैंट,गंगोह,मानिकपुर,बल्हा,इग्लास,जैदपुर,गोविन्दपुर और घोसी सीट पर उपचुनाव हो रहा है । इनमें नौ सीटें भाजपा के पास है जबकि जलालपुर पर बहुजन समाज पार्टी और रामपुर पर समाजवादी पार्टी का कब्जा था । बसपा के राकेश पांडेय अंबेडकरनगर सीट से लोकसभा में पहुंचे तो रामपुर सीट सपा के आजम खान ने जीती। घोसी सीट फागू चौहान के बिहार का राज्यपाल बनाये जाने से रिक्त हुई ।
कल सोमवार को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई । हालांकि कल किसी भी पार्टी की ओर से कोई नामांकन दाखिल नहीं किया गया । नामांकन 30 सितम्बर तक चलेगा और 1 अक्तूबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। तीन अक्तूबर को नाम वापस लिये जायेंगे
भाजपा ने किसी सीट पर अभी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है ।
पार्टी को हमीरपुर विधानसभा सीट के नतीजे का इंतजार है । हमीरपुर विधानसभा सीट पर कल उपचुनाव हुआ है जिसका नतीजा 27 अक्तूबर को आयेगा । पार्टी इस उपचुनाव के नतीजे का इंतजार कर रही है । हमीरपुर सीट भाजपा के अशोक चंदेल के सजायाफ्ता होने के कारण खाली हुई थी ।
भाजपा ने सभी सीटों पर उम्मीदवारों का पैनल तैयार किया है । पैनल में सभी सीटों पर तीन नाम रखे गये हैं । पार्टी के संगठन मंत्री सुनील बंसल उम्मीदवारों की पूरी सूची लेकर कल शाम दिल्ली रवाना हो गये । हाईकमान की सहमति से उम्मीदवारों के अंतिम नाम तय किये जायेंगे ।
दूसरी ओर कांग्रेस ने बल्हा को छोड़ सभी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है । उम्मीदवारों के नाम कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा की सहमति से तय किये गये हैं । हालांकि राज्य में कांग्रेस के संगठन का ढांचा पूरी तरह चरमराया हुआ है । राज बब्बर के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद अभी तक किसी की इस पद पर नियुक्ति नहीं की गई है । प्रियंका गांधी वाड्रा ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बात कर प्रत्याशी तय किये हैं ।
कांग्रेस की हालत उत्तर प्रदेश में पिछले 30 साल से खस्ता है । साल 1989 के बाद से कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में सत्ता का मुंह नहीं देखा है । चुनाव दर चुनाव पार्टी की हालत राज्य में खराब होती जा रही है । लोकसभा के 2014 के चुनाव में अमेठी और रायबरेली सीट जीतने वाली कांग्रेस इस चुनाव में सिर्फ अध्सक्ष सोनिया गांधी की रायबरेली सीट ही जीत सकी । पार्टी अपनी परम्परागत सीट अमेठी भी हार गई । भाजपा की स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को हरा दिया ।
इसीतरह विधानसभा के साल 2017 में हुए चुनाव में पार्टी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के वाबजूद मात्र सात सीट ही जीत सकी थी । राहुल और अखिलेश की दोस्ती मतदाताओं को पसंद नहीं आई ।
समाजवादी पार्टी ,शिवपाल सिंह यादव के बाहर जाने के बाद और कमजोर ही हुई है । लोकसभा के चुनाव में सपा का बसपा के साथ गठबंधन था लेकिन उसे सिर्फ पांच सीट ही मिली । इससे पूर्व 2014 के चुनाव में भी पार्टी ने पांच सीट ही जीती थी ।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सभी सीटों पर प्रत्याशी तय नहीं किये हैं । पार्टी छोटे दलों के साथ तालमेल कर चुनाव लड़ना चाहती है । इसके लिये उसकी सुहेलदेव समाज पार्टी से बात भी हुई है । इसके अलावा रामपुर सीट से डिम्पल यादव के मैदान में उतरने की चर्चा है ।
बसपा बहुत साल बाद उपचुनाव लड़ने जा रही है । पार्टी अब तक उपचुनाव नहीं लड़ती थी लेकिन राज्य विधानसभा में अपनी ताकत बढ़ाने के लिये मायावती को उपचुनाव में उतरना पड़ रहा है । विधानसभा के 2017 में हुये चुनाव में बसपा को सिर्फ 19 सीट मिली थी जो अब घटकर 18 रह गई हैं ।
मायावती ये दिखाना चाहती हैं कि राज्य में भाजपा का मुकाबला कांग्रेस या सपा नहीं बल्कि बसपा ही कर सकती है । बसपा ने सपा के साथ गठबंधन कर लोकसभा की 10 सीटेें जीत ली थीं जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में उसका खाता भी नहीं खुला था ।
दूसरी ओर बसपा के जमीन से जुड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने और निकाले जाने के कारण पार्टी कुछ कमजोर हुई है । बलिया में अपनी खास पकड़ रखने वाले मिठाई लाल सपा में शामिल हो गये हैं तो कौशांबी और इलाहाबाद के जिला अध्यक्ष को मायावती ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण बसपा से निकाल दिया है । बिजनौर से पूर्व विधायक रूचि वीरा को भी मायावती ने दो दिन पहले पार्टी से निकाल दिया था ।