कश्मीर में पाक आतंकियों को जिन्दा पकड़ने का सिलसिला नया नहीं है
पहले नावेद उसके बाद पकड़ा गया सज्जाद अहमद, फिर बहादुर अली और हमजा के बाद अब अजीम तथा मुजीद कोई पहले पाकिस्तानी आतंकी नहीं;
जम्मू। पहले नावेद उसके बाद पकड़ा गया सज्जाद अहमद, फिर बहादुर अली और हमजा के बाद अब अजीम तथा मुजीद कोई पहले पाकिस्तानी आतंकी नहीं है जो कश्मीर में जिन्दा पकड़े गए हों बल्कि जबसे कश्मीर में आतंकवाद की शुरूआत हुई है बीसियों पाकिस्तानी और अफगानिस्तानी आतंकियों को जिन्दा पकड़ा जा चुका है। इससे भी अधिक चौंकाने वाला पहलू कश्मीर के आतंकवाद का यह है कि राज्य में 27 देशों के आतंकी सक्रिय रहे हैं जबकि राज्य में अभी तक मारे गए 25 हजार से अधिक आतंकियों में विदेशी आतंकियों की संख्या आधे से कुछ कम ही रही है।
ताजा घटनाक्रम में सेना ने मुजीद और अजीम को जिन्दा पकड़ा है। इससे पहले पिछले साल 26 अगस्त को रफियाबाद से सज्जाह अहमद तथा उससे तीन हफ्ते पहले एक और पाकिस्तानी आतंकी नावेद को उधमपुर में आतंकी हमले के दौरान कुछ नागरिकों ने जिन्दा पकड़ लिया था।
तीनों का पकड़ा जाना पाकिस्तान के लिए किसी भयानक चोट से कम नहीं है। मुंबई हमले में शामिल अमजद कसाब की गिरफ्तारी के बाद इन दोनों की गिरफ्तारी को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा रहा था जबकि सच्चाई यह है कि वर्ष 2013 में भी दो पाकिस्तानी आतंकियों को कश्मीर के विभिन्न इलाकों से जिन्दा पकड़ा गया था। दरअसल कश्मीर में पकड़े जाने वाले जिन्दा आतंकियों के बारे में पहले इतना प्रचार नहीं किया जाता था। कारण यही रहता था कि सुरक्षा एजेंसियां उनसे जानकारियां हासिल करने में ज्यादा रूचि लेती थीं न कि उनकी गिरफ्तारी को ज्यादा प्रचारित करने में।
अधिकृत जानकारी के मुताबिक 13 मार्च 2013 को बेमिना के इलाके मंे फिदायीन हमले में केरिपुब के 5 जवान मारे गए थे। इस हमले में शामिल 22 साल के एक फिदायीन जुबेर उर्फ अबू तल्लाह उर्फ रियाज को जिन्दा पकड़ लिया गया था। उसे मुठभेड़स्थल से ही दो दिनों के बाद पकड़ा गया था। वह पाकिस्तान के मुलतान का रहने वाला था। इसी प्रकार 18 अप्रैल 2013 को ही पाकिस्तान के मुलतान के रहने वाले कारी नवेद को जिन्दा पकड़ा गया था। ऐसे सैंकड़ों मामले हैं जिनमें मुठभेड़ों के दौरान आतंकियों को जिन्दा पकड़ा गया। इनमें सिर्फ पाकिस्तानी नागरिक ही नहीं बल्कि लगभग 27 देशों के आतंकी भी शामिल रहे हैं।
अभी तक 26 सालों के आतंकवाद के दौर के दौरान कश्मीर में पाकिस्तान और अफगानिस्तान समेत करीब 27 देशों के आतंकी न सिर्फ जिन्दा पकड़े गए हैं बल्कि मारे भी गए हैं। कश्मीर में अभी तक 25 हजार से अधिक आतंकी मारे जा चुके हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इन 25 हजार में से आधे के करीब विदेशी आतंकी हैं। वर्ष 1994 के बाद से ही कश्मीर में विदेशी आतंकियों की घुसपैठ शुरू हो गई थी और साथ ही उनको मार गिराने की सफलता भी सुरक्षाबलों को मिलने लगी थी। यह सफलता कितनी है इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्ष 2014 में कुल मारे गए 120 आतंकियों में से मात्र 20 ही स्थानीय थे। और यही नहीं 26 साल के आतंकवाद के दौरान पकड़े गए कुल एक लाख के करीब आतंकियो ंमें 10 परसेंट के करीब विदेशी भी थे।
और यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि राज्य में विदेशी आतंकियों का आना थमा नहीं है। नावेद और सज्जाद अहमद के बाद बाहदुन अली की गिरफ्तारी इसका जीता जागता सबूत है। दरअसल एलओसी पर तारबंदी के बाद राज्य से भर्ती किए गए कश्मीरी युवकों को आतंकी नेता सीमा पार भिजवाने में नाकाम साबित हो रहे हैं और पाकिस्तानी सेना कश्मीर में आतंकवाद को जिन्दा रखने की खातिर विदेशी नागरिकों के अतिरिक्त अपने जवानों को भी लगातार इस ओर भिजवाती रही है।