न्यायपालिका को प्रशासन के काम से खुद को अलग रखना चाहिए: रवि शंकर प्रसाद

 विधि एवं न्यायमंत्री रवि शंकर प्रसाद ने उच्चतम न्यायालय में जजों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका पर निशाना साधते हुए आज कहा कि न्यायपालिका को प्रशासन में दखल नहीं देनी चाहिये;

Update: 2018-04-19 12:10 GMT

नयी दिल्ली।  विधि एवं न्यायमंत्री रवि शंकर प्रसाद ने उच्चतम न्यायालय में जजों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका पर निशाना साधते हुए आज कहा कि न्यायपालिका को प्रशासन में दखल नहीं देनी चाहिये।

प्रसाद ने यहां हीरो इन्टरप्राइजिज द्वारा आयोजित एक बैठक में कहा कि जजों की नियुक्ति संबंधी नयी व्यवस्था को संसद में सभी दलों ने एक सुर में मंजूरी दी थी। उच्चतम न्यायालय ने कानून को खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा “हम शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं और उसे स्वीकार करते हैं। लेकिन इस फैसले के पीछे जो तर्क दिया गया है उस पर बहस होनी चाहिये।

प्रधानमंत्री जब देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लाेकसभा अध्यक्ष, तीनों सेनाओं के प्रमुखों, खुफिया विभाग के प्रमुखों, महालेखा परीक्षक की नियुक्ति में अहम भूमिका निभा सकता है तो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले पर उस पर और कानून मंत्री पर विश्वास क्यों नहीं किया जा सकता।”

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका तीनों के अधिकार एवं कार्य क्षेत्रों को अलग अलग रखा गया है। विधायिका का काम कानून बनाना है, कार्यपालिका का उसे लागू करना और न्यायपालिका का उसकी व्याख्या करना है। न्यायपालिका को प्रशासन के काम से खुद को अलग रखना चाहिये।

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