अदालत ने मांगा सुमन खेडा से लिखित जबाव,याचिका पर अगली सुनवाई 6 अप्रैल को

फरीदाबाद ! वार्ड-12 की पार्षद सुमन बाला खेडा अरोडा को मेयर न बनाने से संबंधित जिला अदालत में की दाखिल गई अर्जी पर सुनवाई करते हुए;

Update: 2017-02-12 04:40 GMT

फरीदाबाद !   वार्ड-12 की पार्षद सुमन बाला खेडा अरोडा को मेयर न बनाने से संबंधित जिला अदालत में की दाखिल गई अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश गरीमा यादव (सिविल जज) ने पिता-पुत्री के जाति प्रमाण पत्र व दोनों पक्षों द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों को देखने के बाद प्रतिवादी पिता-पुत्री को लिखित जवाब दाखिल करने के आदेश दिए और इस मामले को अगली सुनवाई आगामी 6 अप्रैल  2017 तक स्थगति कर दिया। जबकि कुछ लोग अदालत के इन आदेशों को जनता में भ्रमित करके अर्जी को खारिज करने की अफवाह फैला रहे हैं। इन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो दलित समाज का हक मारने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं और वार्ड 12 की पार्षद को जबरन महापौर बनाने पर तुले हैं। इस मामले की पैरवी कर रहे वकील राजेश अहलावत ने प्रैस को जारी एक बयान में कहा कि गत् 9 फरवरी  को न्यायाधीश गरीमा यादव (सिविल जज) ने उनके द्वारा दाखिल की अर्जी में उन्होंने वार्ड की पार्षद सुमन खेडा को पंजाबी अरोडा जाति और जुलाया गोत्र का होने संबंधी दस्तावेज पेश किए थे। इस अर्जी पर सुनवाई की तारीख 9 फरवरी  दी गई थी। उन्होंने बताया  न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने और दस्तावेज देखने के बाद प्रतिवादी सुमन बाला खेडा अरोडा व लोकनाथ अरोडा दोनों को अपनी जाति से संबंधित लिखित जवाब आगामी 6 अप्रैल तक देने के आदेश दिए। वकील राजेश अहलावत ने बताया कि उनके द्वारा अदालत में सुमन खेडा को महापौर न बनाए जाने के लिए अर्जी दाखिल की थी जो इंट्रिम अर्जी आदेश 39 रूल अण्डर सैक्सन 1, 2 को खारिज किया है न कि पूरे मामले को। उन्होंने बताया कि इस मामले की सुनवाई अभी चलेगी, और इसके साथ ही प्रतिवादी के खिलाफ धोखाधड़ी और झूठ का सहारा लेकर अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र बनाने बारे एक शिकायत दर्ज जिला अदालत में दर्ज कर्रवाई जाएगी। इस मामले में याचिका कर्ता सुनील कंडेरा ने बताया कि कुछ स्वार्थी लोग अपने ऊंचे रसूकों और सत्ताधारियों के साथ मिलकर जबरन एक अरोडा जाति की लडक़ी को महापौर बनाना चाहते हैं। वह अपने स्वार्थों की खातिर लोगों को गुमराह कर रहे हैं, और दलित समाज को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं, जबकि उन्हें कानून और न्यायालय पर पूर्ण भरोसा है कि इस मामले के सभी दस्तावेजों को देखने के बाद न्यायाधीश सही फैसला देंगे।
कंडेरा ने कहा कि सही मायने में तो पंजाबी अरोडा समाज को यह तक नहीं पता कि अनूसूचित जाति के लोग कौन होते हैं? और इनको यह हक-अधिकार क्यों मिले हैं? केवल कुछ लोगों को बहकाकर एक प्रमाण पत्र बनवाने से पंजाबी अरोडा समाज का व्यक्ति एससी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जब तक यह मामला आदालत में विचाराधीन है, तब तक भाजपा सरकार किसी सही पात्र को ही महापौर बनाएं। यदि इसके बाद भी हरियाणा सरकार ने पार्षदों पर दवाब बनाकर दलितो को नीचा दिखाने के लिए यदि सुमन बाला खेडा अरोडा को फिर भी मेयर बनाया तो दलित समाज चुप नहीं बैठेगा, और भारत रत्न व दलितों के मसीहा बाबा साहेब डॉ. भीमराव अ बेडकर द्वारा संविधान में दिलाए गए अपने हक अधिकार के लिए सडकों पर उतरकर लड़ाई लड़ेगा।

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