लड़कियों की शादी की उम्र 21 नहीं 16-17 साल की जानी चाहिए : शफीक उर रहमान

केंद्र सरकार के लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के फैसले पर समाजवादी पार्टी के सांसद शफीक उर रहमान ने कड़ा ऐतराज जताया है;

Update: 2021-12-17 23:32 GMT

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के फैसले पर समाजवादी पार्टी के सांसद शफीक उर रहमान ने कड़ा ऐतराज जताया है। समाजवादी पार्टी के सांसद शफीक उर रहमान ने शुक्रवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा कि बिल्कुल गलत है। इससे लड़कियों पर बुरा असर पड़ेगा। सवाल- केंद्र सरकार के नए प्रपोजल के तहत लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़कर अब 21 साल हो जायेगी। क्या ये सही फैसला है?

जवाब- लड़कियों की शादी की उम्र 21 नहीं 16-17 कर दी जानी चाहिए। अगर ये कानून बन जाता है तो ये केंद्र सरकार का गलत निर्णय होगा। इससे लड़कियों को भी नुकसान होने वाला है।

सवाल- अगर ये कानून बन जाये और लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल हो। तो आपकी समझ से इसका क्या नुकसान होगा?

जवाब- लड़कियों के लिए 18 साल की उम्र काफी थी। 21 साल की उम्र करना ठीक नहीं है। वे ससुराल जाकर भी पढ़ सकती थीं।

सवाल- महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से 21 वर्ष करने पर केंद्र सरकार इस प्रपोजल को कानून बनाने के लिए अब सदन के पटल पर बिल के तौर पेश करेगी। तो क्या आप इस बिल का सदन में भी विरोध करेंगे?

जवाब- हां मैं इस बिल का विरोध करूंगा। कहीं लड़कियों के साथ गलत हरकत ना हो जाए। देश के अंदर गरीब यही चाहता है कि हमारी बेटी की जल्दी शादी हो जाए और वो अपने घर चली जाए। कानून बनेगा तो सबसे ज्यादा गरीब को परेशान होना पड़ेगा।

सवाल- आपको नहीं लगता कि ये कानून बन जायेगा तो महिला और पुरूष दोनों को बराबरी का अधिकार मिल जायेगा?

जवाब- कानून बनने पर भारत उन चंद देशों में शुमार हो जाएगा, जहां महिलाओं की शादी की उम्र 21 साल होगी। और आखिर क्यों किया जा रहा है।

गौरतलब है कि जया जेटली की अध्यक्षता में बनी एक टास्क फोर्स ने केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट दी थी कि लड़की की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल कर देनी चाहिए, क्योंकि छोटी उम्र में लड़कियों को प्रेगनेंसी में समस्याएं होती हैं। मातृ मृत्यु दर बढ़ने की आशंका रहती है, पोषण के स्तर में भी सुधार की जरूरत होती है। इसी के बाद केंद्र सरकार ने इसे कैबिनेट से मंजूरी दे दी।

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