यूआईडीएआई को जवाब दाखिल करने के लिए मोहलत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की उस याचिका को मंजूर कर लिया;

Update: 2018-11-20 00:53 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की उस याचिका को मंजूर कर लिया, जिसमें यूआईडीएआई ने आधार डेटा लीक होने की वजह से हुई क्षति के लिए अनुकरणीय हर्जाने की मांग वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की थी। न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट्ट और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी को मुकर्रर कर दी।

अदालत वकील सिद्धार्थ अग्रवाल के जरिए शमंद बशीर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि आधार धारकों की निजी जानकारी के प्रसार से यह स्पष्ट हो जाता है कि सरकार किसी भी प्रकार की सूचनात्मक निजता के अधिकार के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि यूआईडीएआई की असावधानी से उसके संवैधानिक अधिकार का हनन हुआ है।

शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ता ने कहा कि जब सरकार नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करती है तो अदालत हर्जाना देने की घोषणा कर सकती है।

उन्होंने कहा कि उनकी याचिका सर्वोच्च न्यायालय में अन्य कार्यवाही से पूरी तरह भिन्न है, क्योंकि वह डेटा के लीक होने की वजह से मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

बशीर ने इसके साथ ही शीर्ष अदालत से डेटा लीक से हुई हानि के प्रभाव, लीक के दायरे की जांच के लिए विभिन्न विशेषज्ञों वाली एक स्वतंत्र समिति गठित करने का आग्रह किया।
 

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