तमिलनाडु एसआईआर सर्वे : 40 से 50 लाख वोटर्स के नाम लिस्ट से हटाए जा सकते हैं -चुनाव आयोग

तमिलनाडु में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा बनाने की मुहिम तेज हो गई है;

By :  IANS
Update: 2025-12-04 13:31 GMT

एसआईआर सर्वे: तमिलनाडु में कट सकते हैं लाखों मतदाताओं के नाम, अपील जमा करने की अंतिम तारीख 11 दिसंबर

चेन्नई। तमिलनाडु में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा बनाने की मुहिम तेज हो गई है।

चुनाव आयोग के अनुमान के मुताबिक, 40 से 50 लाख वोटर्स के नाम लिस्ट से हटाए जा सकते हैं। यह अभियान 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले वोटर रोल को अपडेट करने का बड़ा कदम है, लेकिन इससे कई लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

राज्य में कुल 6.41 करोड़ वोटर्स हैं। अभी तक 25.72 लाख ऐसे लोगों की पहचान हो चुकी है, जो मर चुके हैं। इनके नाम लिस्ट से हटाना तय है। इसके अलावा, 39 लाख वोटर्स ने अपना स्थायी पता बदल लिया है, जबकि 9 लाख वोटर्स का अभी कोई पता नहीं चल पा रहा। चुनाव आयोग ने 3.32 लाख डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन वाले वोटर्स की भी सूची तैयार की है। इन आधार पर, कम से कम 28 लाख नाम निश्चित रूप से वोटर लिस्ट से कट जाएंगे। अगर 9 लाख अनट्रेसेबल वोटर्स 11 दिसंबर तक अपनी अपील जमा नहीं कराते, तो उनके नाम भी लिस्ट से बाहर हो जाएंगे।

चुनाव आयोग ने बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होने के बाद भी, जिन्होंने अपना घर हमेशा के लिए शिफ्ट किया है, उन्हें दोबारा रजिस्ट्रेशन का मौका मिलेगा। यह प्रक्रिया घर-घर जाकर फॉर्म वितरित करने पर आधारित है। अब तक 63.2 लाख इलेक्टोरल फॉर्म बांटे जा चुके हैं, लेकिन 41 लाख लोगों को अभी फॉर्म नहीं मिला। अपील जमा करने की आखिरी तारीख 11 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है। लोग फॉर्म-6 या फॉर्म-7 भरकर ऑनलाइन या बीएलओ के जरिए अपडेट कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और विपक्षी दलों ने एसआईआर को 'खतरनाक' बताते हुए विरोध जताया है। वीसीके नेता थोल थिरुमावलावन ने चेतावनी दी कि इससे करीब एक करोड़ नाम कट सकते हैं, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है। बिहार में 43 लाख नाम कटने का हवाला देते हुए उन्होंने संसद में बहस की मांग की। राजस्व अधिकारियों ने भी बीएलओ का अतिरिक्त काम न करने का फैसला लिया है, जिससे प्रक्रिया में देरी हो रही है।

चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम नकली वोटिंग रोकने और लिस्ट को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है। लोग टोल-फ्री हेल्पलाइन से मदद ले सकते हैं। अगर नाम गलत कट जाए, तो अपील का रास्ता खुला है।

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