संसद में गतिरोध पर सुमित्रा महाजन ने सांसदों को लिखा पत्र

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सभी सांसदों को लिखे पत्र में संसद में लगातार उत्पन्न किए गए गतिरोध पर चिंता जताई और कहा कि राय और असहमति स्थापित मानदंडों के भीतर होनी चाहिए;

Update: 2018-07-11 02:54 GMT

नई दिल्ली।  लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सभी सांसदों को लिखे पत्र में संसद में लगातार उत्पन्न किए गए गतिरोध पर चिंता जताई और कहा कि राय और असहमति स्थापित मानदंडों के भीतर होनी चाहिए। आज मीडिया में जारी पत्र में महाजन ने कहा कि 16वीं लोकसभा का कार्यकाल अपने अंतिम वर्ष में पहुंच गया है और अब केवल तीन सत्र ही बचे हैं।

मानूसन सत्र 18 जुलाई से शुरू होने वाला है। उन्होंने कहा कि लोग सांसदों के प्रदर्शन को काफी उत्सुकता के साथ देखते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सदस्य संसदीय व्यवहार, अनुशासन और शिष्टाचार का प्रदर्शन करेंगे। महाजन ने कहा कि क्या राजनीतिक पार्टियां सदन में अपने व्यवहार को यह कहकर सही ठहरा सकती हैं कि इससे पहले अन्य पार्टियों ने सदन की कार्यवाही में ऐसा ही व्यवधान उत्पन्न किया था। उन्होंने कहा, अगर हम इस तर्क को स्वीकार कर लेते हैं तो गतिरोध का यह चक्र लगातार चलता रहेगा और यह प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होगी। उन्होंने कहा कि कुछ सदस्य उनके स्थान के पास आ जाते हैं और नारे लगाते हैं, तख्तियां दिखाते हैं और कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न करते हैं, जिसकी वजह से सदन को बार-बार स्थगित करना पड़ता है।

उन्होंने कहा, आप सभी इस बात से सहमत होंगे कि चर्चा, बहस, राय और विचार में असहमति लोकतांत्रिक प्रणाली का एक अभिन्न अंग है। सकारात्मक विपक्ष और जीवंत बहस लोकतंत्र की जीवनरेखा है, लेकिन आप इससे भी सहमत होंगे कि बहस, राय और विचार भिन्नता स्थापित मानदंडों के भीतर जाहिर करना चाहिए।

संसदीय मर्यादा और शिष्टाचार को स्वीकार करना चाहिए ताकि लोगों का लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थानों में विश्वास बना रहे। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा उनके हालिया विदेशी दौरे के दौरान, भारतीय प्रवासियों और अन्य विदेशी पदाधिकारियों ने भी सदन में लगातार गतिरोध पर चिंता और निराशा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि यह सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि संसद की पवित्रता और मर्यादा की सुरक्षा की जाए। उन्होंने कहा, इसलिए, हमारे लिए आत्मविश्लेषण करने और यह निर्णय करने का समय आ गया है कि हमारे लोकतंत्र और संसद के लिए आदर्श छवि क्या होगा और आगे बढ़ने का रास्ता क्या होगा।

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