गन्ना उत्पादक सड़कों पर उतरने को मजबूर : कांग्रेस

हरियाणा में गन्ना किसान उत्पादक सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं क्योंकि किसानों को ना तो उनकी फसलों के सही दाम मिल रहे और न ही उनकी फसल की खरीद हो पा रही है।;

Update: 2020-01-15 16:59 GMT

चंडीगढ़। हरियाणा में गन्ना किसान उत्पादक सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं क्योंकि किसानों को ना तो उनकी फसलों के सही दाम मिल रहे और न ही उनकी फसल की खरीद हो पा रही है। इसलिये सरकार जल्द इस दिशा में ठोस कदम उठाये ।

प्रदेश कांग्रेेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने आज यहां जारी बयान में कहा कि हैरान करने वाली बात तो यह है कि लागत से 50 फीसदी अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वादा करने वाली भाजपा सरकार पिछले पांच वर्षों में गन्न्ने की कीमत में सिर्फ 30 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा कर सकी । प्रदेश में बनी नई सरकार ने तो गन्ना के रेटों में वृद्धि नहीं की है। जबकि किसानों की लागत इन वर्षों में कई गुना बढ़ गई है।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने खाद पर चार फीसदी, कृषि उपकरणों पर 18 फीसदी और कीटनाशकों पर 18 फीसदी जीएसटी लगा दिया है तो दूसरी तरफ डीजल के दामों में लगातार वृद्धि की है। फसलों की लागत लगातार बढ़ती जा रही है और सरकार रेटों में बढ़ोतरी के नाम पर चुप्पी साधे हुई बैठी है। प्रदेश के कई हिस्सों में गन्ने की फसल की खरीद नहीं हो पा रही है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि पलवल शुगर मिल में गन्ने की खरीद सुचारु रूप से नहीं हो पा रही है। इस मिल में पलवल, फरीदाबाद, गुरुग्राम और नूंह जिले के हजारों गन्ना किसान अपनी फसल बेचने आते हैं। गन्ना खरीद नहीं होने से गन्ना फसल खेत में खड़ी हैं और किसान अपनी अगली फसल की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं, जिस कारण

किसानों को आर्थिक तौर पर भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पिछले एक महीने से किसान आंदोलन पर हैं। इस शुगर मिल की मशीनों पर प्रदेश सरकार ने इस वर्ष 12 करोड रुपए खर्च किए, लेकिन इसके बावजूद यहां की मशीनें बार बार खराब हो रही हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष ने सरकार को आगाह किया कि प्रदेश सरकार फसल खरीद को लेकर तुरंत ठोस कदम उठाए और फसल के दामों में तुरन्त वृद्धि करे। इस विषय की भी जांच होनी चाहिए कि करोडों खर्च करने के बावजूद पलवल शुगर मिल बार-बार बंद क्यों हो रही है।

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