तेजी से घटती आबादी: हम्बोल्ट पेंगुइन विलुप्ति के कगार पर

चिली के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हम्बोल्ट पेंगुइन विलुप्त होने के बढ़ते खतरे का सामना कर रहे हैं. जमीन और पानी दोनों जगह पर रहने वाले इस समुद्री पक्षी की वैश्विक आबादी में अब गिरावट आ रही है;

Update: 2025-11-13 11:55 GMT

चिली के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हम्बोल्ट पेंगुइन विलुप्त होने के बढ़ते खतरे का सामना कर रहे हैं. जमीन और पानी दोनों जगह पर रहने वाले इस समुद्री पक्षी की वैश्विक आबादी में अब गिरावट आ रही है.

चिली के प्रशांत तट पर दुनिया के 80 फीसदी हम्बोल्ट पेंगुइनों का घर है, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार, इनकी संख्या चिंताजनक रूप से घटकर 20,000 से भी कम रह गई है, जबकि 1990 के दशक के अंत में यह करीब 45,000 थी. यह गिरावट जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक मछली पकड़ने और आवास के नुकसान जैसी चुनौतियों का संकेत देती है.

जनसंख्या में गिरावट के प्रमुख कारण

अंतरराष्ट्रीय संगठन हम्बोल्ट पेंगुइन को जोखिम वाली श्रेणी में रखते हैं और इसके व्यावसायिक व्यापार पर प्रतिबंध है. पिछले महीने चिली के पर्यावरण मंत्रालय ने इस समुद्री पक्षी को आधिकारिक रूप से "लुप्तप्राय" घोषित कर दिया. जीवविज्ञानी आशंका जता रहे हैं कि अगर मौजूदा रुझान जारी रहे, तो इनकी संख्या और भी तेजी से घट सकती है.

चिली के राष्ट्रीय चिड़ियाघर के समुद्री जीवविज्ञानी गुइलेर्मो कुबिलोस ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "आज पेंगुइनों के सामने मौजूद खतरों की संख्या कम नहीं हुई है."

उन्होंने आगे कहा, "अगर ये खतरे लंबे समय तक बने रहे, तो यह प्रजाति 'लुप्तप्राय' से 'गंभीर रूप से लुप्तप्राय' ‘की श्रेणी में पहुंच जाएगी और वहां से विलुप्ति तक का सफर बहुत छोटा है."

सख्त कानून की जरूरत

हम्बोल्ट पेंगुइन पर अध्ययन करने वाली जीव विज्ञानी पॉलिना आर्के कहती हैं कि यह प्रजाति मछली पकड़ने वाले जाल में फंसकर होने वाली मौतों और समुद्री संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा से खतरे में है. उन्होंने बताया कि अब सख्त कानूनों की जरूरत है ताकि औद्योगिक और छोटे स्तर पर मछली पकड़ना टिकाऊ तरीके से हो.

आर्के ने कहा, "अब तक लागू किए गए उपाय काम नहीं कर रहे हैं. किसी प्रजाति को फिर से वर्गीकृत करना बेकार है, अगर इसके साथ ऐसे कदम नहीं उठाए जाते जो यह सुनिश्चित करें कि वह अपने प्राकृतिक आवास में जी सके और भोजन पा सके." आर्के ने कहा कि कानून बेहद जरूरी है ताकि इंसान और प्रकृति साथ रह सकें.


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