नियम 267 पर सभापति के निर्णय का सम्मान होना चाहिए: धनखड़

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि नियम 267 पर सभापति के निर्णय का सम्मान होना चाहिए और इसे मतभेद का कारण नहीं बनाना चाहिए;

Update: 2024-11-27 15:50 GMT

नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि नियम 267 पर सभापति के निर्णय का सम्मान होना चाहिए और इसे मतभेद का कारण नहीं बनाना चाहिए।

सभापति ने बुधवार को सदन में नियम 267 के अंतर्गत विपक्षी दलों के सदस्यों के 18 नोटिसों काे अस्वीकार करते हुए कहा कि नियम 267 के अंतर्गत सभापति का निर्णय अंतिम होता है और इसे स्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले 30 वर्ष में नियम 267 के संदर्भ में सदन ने हर बार सामूहिक दृष्टिकोण का प्रदर्शन किया है। ऐसा माहौल बनाया जाना चाहिए और चर्चा, संवाद, विमर्श और नियमों के पालन के माध्यम से उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।

धनखड़ ने कहा कि यह सदन वरिष्ठ जनों का सदन है और उच्च सदन है, राज्यों की परिषद है। उन्होंने कहा कि सदन की उन परंपराओं का पालन करना चाहिए जो स्थापित हो चुकी हैं। सभापति के निर्णय का सम्मान होना चाहिए और इससे मतभेद का कारण नहीं बनाना चाहिये।

सदन में आज दिल्ली में कानून व्यवस्था की स्थिति, उत्तर प्रदेश के संभल और मणिपुर में हिंसा तथा अडाणी समूह में कथित अनियमिताओं की जांच कराने के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने पर चर्चा कराने की मांग करते हुए 18 नोटिस दिये गये थे। ये नोटिस आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला, नासिर हुसैन और केसी वेणुगोपाल तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जाॅन ब्रिटास और समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव समेत 18 सदस्यों ने दिये हैं।

सभापति ने कहा कि विभिन्न प्रावधानों और परिस्थितियों में इन नोटिसों को स्वीकार नहीं किया जा रहा है। इन सभी मुद्दों को नियमों के अनुसार उठाने के लिए अवसर मिलेगा। अन्य नियमों में प्रावधान है कि इन मुद्दों को किसी न किसी रूप में प्रस्तावों के माध्यम से उठाया जा सकता है। इसलिए इन नोटिसों को अस्वीकार किया जा रहा है।

धनखड़ ने कहा कि नियम 267 के संदर्भ में सदन की यात्रा को देखा जाना चाहिए। पिछले 30 वर्षों में, चाहे किसी भी राजनीतिक दल की सरकार रही हो, इस नियम का उपयोग यदा कदा हुआ ही है। इसके उपयाेग पर हर बार की पृष्ठभूमि में एक सामूहिक दृष्टिकोण सभी दलों के बीच संवाद और सभी पहलुओं पर विचार होता रहा है।

धनखड़ ने कहा, “मैं इस सदन के सदस्यों से अपील करता हूं कि इस ऐतिहासिक दिन पर जो संविधान अंगीकरण के शताब्दी वर्ष के चौथे चरण का पहला दिन है, हम उत्पादकता का स्तर बढ़ाएं। हम एक ऐसा माहौल बनाएं जो चर्चा, संवाद, विमर्श और नियमों के पालन के माध्यम से उदाहरण प्रस्तुत करे।”

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