किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए उनके पक्ष में उतरी फोगाट खाप
किसानों द्वारा अपनी मांगों को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन और दिल्ली की तरफ कूच को फोगाट खाप ने समर्थन दिया है;
चरखी दादरी। किसानों द्वारा अपनी मांगों को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन और दिल्ली की तरफ कूच को फोगाट खाप ने समर्थन दिया है। फोगाट खाप के प्रधान फोगाट की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में फोगाट खाप ने किसान आंदोलन का समर्थन किया और सरकार से आग्रह किया कि यदि मुद्दे का समाधान जल्द नहीं किया गया, तो देश भर की खाप पंचायतों को एकजुट कर बड़ा कदम उठाया जाएगा।
फोगाट खाप के प्रधान सुरेश फोगाट ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "पिछले कई दिनों से पंजाब के किसान सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं। अब इस आंदोलन को लगभग 278-279 दिन का हो चुके हैं। सरकार ने पहले किसानों से कहा था कि वे ट्रैक्टर-ट्रॉली को संशोधित करवा लें और मशीनें लेकर आएं। लेकिन अब जब किसानों ने पैदल चलने की अनुमति मांगी, तो उन्हें आगे बढ़ने से रोका जा रहा है। वे चाहते हैं कि उनको न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी दी जाए, उनका खर्च माफ किया जाए और बिजली बिलों में जो वृद्धि की गई है, वह वापस ली जाए।"
उन्होंने आगे कहा, "सरकार को इन मांगों पर विचार करना चाहिए और यदि किसान दिल्ली आकर सरकार से बातचीत करना चाहते हैं, तो उन्हें शांति से आने दिया जाना चाहिए। उन्हें आंसू गैस और पानी की बौछारों से नहीं पीटा जाना चाहिए। हाल ही में खबर आई है कि लगभग 40 से 45 किसान घायल हो गए हैं, जो अत्यंत निंदनीय है। इस तरह से सरकार को पेश नहीं आना चाहिए। अगर सरकार का यह रवैया जारी रहा, तो देश के सभी किसान संगठनों को उनके साथ खड़ा होना पड़ेगा। हम सरकार से अपील करते हैं कि वे किसानों के साथ शांतिपूर्वक बातचीत करें और उनकी समस्याओं का समाधान करें। यह केवल पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे भारत के किसानों का सवाल है। पहले भी किसान आंदोलन हुआ था, और 13 महीने तक हम बॉर्डर पर बैठे थे। सरकार ने वादा किया था कि एमएसपी पर मुहर लगाई जाएगी और हम अपना धरना समाप्त कर देंगे, लेकिन सरकार अब भी अपनी अड़ियल स्थिति पर कायम है। न तो एमएसपी दी गई, न ही किसानों के बिलों को माफ किया गया, और न ही बिजली बिलों की वृद्धि को वापस लिया गया।"
उन्होंने कहा, "अब पंजाब के किसान फिर से आंदोलन की शुरुआत कर रहे हैं और जैसे पहले हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश के किसान उनका समर्थन कर रहे हैं। "
किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए उनके पक्ष में उतरी फोगाट खाप
चरखी दादरी, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। किसानों द्वारा अपनी मांगों को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन और दिल्ली की तरफ कूच को फोगाट खाप ने समर्थन दिया है। फोगाट खाप के प्रधान फोगाट की अध्यक्षता में आयोजित एक बैठक में फोगाट खाप ने किसान आंदोलन का समर्थन किया और सरकार से आग्रह किया कि यदि मुद्दे का समाधान जल्द नहीं किया गया, तो देश भर की खाप पंचायतों को एकजुट कर बड़ा कदम उठाया जाएगा।
फोगाट खाप के प्रधान सुरेश फोगाट ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "पिछले कई दिनों से पंजाब के किसान सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं। अब इस आंदोलन को लगभग 278-279 दिन का हो चुके हैं। सरकार ने पहले किसानों से कहा था कि वे ट्रैक्टर-ट्रॉली को संशोधित करवा लें और मशीनें लेकर आएं। लेकिन अब जब किसानों ने पैदल चलने की अनुमति मांगी, तो उन्हें आगे बढ़ने से रोका जा रहा है। वे चाहते हैं कि उनको न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी दी जाए, उनका खर्च माफ किया जाए और बिजली बिलों में जो वृद्धि की गई है, वह वापस ली जाए।"
उन्होंने आगे कहा, "सरकार को इन मांगों पर विचार करना चाहिए और यदि किसान दिल्ली आकर सरकार से बातचीत करना चाहते हैं, तो उन्हें शांति से आने दिया जाना चाहिए। उन्हें आंसू गैस और पानी की बौछारों से नहीं पीटा जाना चाहिए। हाल ही में खबर आई है कि लगभग 40 से 45 किसान घायल हो गए हैं, जो अत्यंत निंदनीय है। इस तरह से सरकार को पेश नहीं आना चाहिए। अगर सरकार का यह रवैया जारी रहा, तो देश के सभी किसान संगठनों को उनके साथ खड़ा होना पड़ेगा। हम सरकार से अपील करते हैं कि वे किसानों के साथ शांतिपूर्वक बातचीत करें और उनकी समस्याओं का समाधान करें। यह केवल पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे भारत के किसानों का सवाल है। पहले भी किसान आंदोलन हुआ था, और 13 महीने तक हम बॉर्डर पर बैठे थे। सरकार ने वादा किया था कि एमएसपी पर मुहर लगाई जाएगी और हम अपना धरना समाप्त कर देंगे, लेकिन सरकार अब भी अपनी अड़ियल स्थिति पर कायम है। न तो एमएसपी दी गई, न ही किसानों के बिलों को माफ किया गया, और न ही बिजली बिलों की वृद्धि को वापस लिया गया।"
उन्होंने कहा, "अब पंजाब के किसान फिर से आंदोलन की शुरुआत कर रहे हैं और जैसे पहले हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश के किसान उनका समर्थन कर रहे हैं। "
--आईएएनएस
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