टाईटलर के खुलासे के बाद सिख राजनीति गरमाई
सिख दंगों पर कांग्रेसी नेता जगदीश टाईटलर के बयान का हवाला देते हुए सिख नेताओं ने कांग्रेसी की घेराबंदी शुरू कर दी है;
नई दिल्ली। सिख दंगों पर कांग्रेसी नेता जगदीश टाईटलर के बयान का हवाला देते हुए सिख नेताओं ने कांग्रेसी की घेराबंदी शुरू कर दी है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने तो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भारत रत्न पुरस्कार वापस लेने की मांग कर दी।
कांग्रेसी नेता जगदीश टाईटलर द्वारा 1984 सिख कत्लेआम के दौरान राजीव गांधी के साथ दिल्ली में घूमने के मीडिया जरिए किए गए खुलासे पर कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके व महासचिव मनजिन्दर सिंह सिरसा ने 33 वर्ष बाद टाईटलर द्वारा किए गए खुलासे पर सवाल उठाए। जीके ने पूछा कि इंदिरा गांधी की प्रतिष्ठा क्या महात्मा गांधी से अधिक थी, क्योंकि महात्मा गांधी का कत्ल एक मराठे द्वारा करने के बाद मराठों का कत्लेआम नहीं हुआ था, जबकि इंदिरा गांधी के कत्ल के बाद सिखों का कत्लेआम हुआ था।
जीके ने कहा कि टाईटलर के खुलासे से एक बात साबित हो गई है कि राजीव गांधी को कत्लेआम की व्यूहरचना की पूरी जानकारी थी। यही कारण है कि दिल्ली छावनी में फौज होने के बावजूद तीन दिन बाद मेरठ छावनी से फौज बुलाई गई। इन तीन दिनों के दौरान सिखों के जानमाल को कांग्रेसी नेताओं ने जमकर पैरों तले रौंदा था। उन्होंने संभावना जताई कि टाईटलर का खुलासा सीधे तौर पर गांधी परिवार को संकेत देने की कोशिश लगता है, तो मुझे बचा लो या मैं सारे भेद उजागर कर दूंगा।
मनजिंदर सिंह सिरसा ने सांसदों को राजीव गांधी से भारत रत्न खिताब वापस लेने की मांग उठाने की अपील करते हुए टाईटलर के इस मसले पर 33 वर्ष चुप रहने को गैर मामूली घटना बताया। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने कहा कि जिस तरह का माहौल आजकल है भीड़ बेकाबू हो अपनी मर्जी कर रही हैं, जो चिंता का विषय है।
यदि शक्तिशाली राजनेता आपके पीछे हो तो कुछ नहीं होगा और इसकी शुरुआत 1984 में हुई, जब हजारो सिखों की हत्या की गई और इन लोगों को सजा हो गई होती तो कोई और दंगा ना होता। टाईटलर ने एक चैनल को कहा राजीव गांधी उनके साथ सड़कों पर घूम रहे थे। देश के प्रधानमंत्री का उस जगह जाना, जहां हिंसा हो रही है। अपने आप में सवाल उठता हैं, क्योंकि जहां भी राजीव गांधी गए, वहां सिखों की हत्या की गई आगजनी की गई गुरुद्वारों को जलाया गया। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी को भारत रत्न नहीं मिलना चाहिए था। उन्होंने हजारों बेगुनाहों को मारा है।