भारत एवं दक्षिण कोरिया के बीच हुए आपसी सहयोग के 11 करारों पर हस्ताक्षर
भारत एवं दक्षिण कोरिया ने अपनी विशेष रणनीतिक साझेदारी को आज नई ऊँचाई देते हुए समग्र आर्थिक साझेदारी करार के उन्नत बनाते हुए ‘अर्ली हारवेस्ट पैकेज’ के रूप में ठोस पहल की;
नयी दिल्ली। भारत एवं दक्षिण कोरिया ने अपनी विशेष रणनीतिक साझेदारी को आज नई ऊँचाई देते हुए समग्र आर्थिक साझेदारी करार के उन्नत बनाते हुए ‘अर्ली हारवेस्ट पैकेज’ के रूप में ठोस पहल की तथा विश्व में भविष्य को ध्यान में रखते हुए होने वाले तकनीकी बदलावों को देखते हुए ‘इनोवेशन कोऑपरेशन सेंटर’ और ‘फ्यूचर स्ट्रेटजी ग्रुप’ के गठन का निर्णय लिया।
Multi-dimensional relationship with huge potential! PM @narendramodi warmly welcomed the President of Republic of Korea, Moon Jae-in at the Hyderabad House ahead of the delegation-level talks. pic.twitter.com/heypTblrd1
Adding substance to our Special Strategic Partnership! PM @narendramodi and President of Republic of Korea Moon Jae-in had extensive discussions covering all aspects of our bilateral relationship towards infusing new momentum in our ties. pic.twitter.com/1oFoveEj14
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन के बीच यहां हैदराबाद हाउस में हुई बैठक में ये फैसले लिये गये। बैठक में दोनों देशों ने आपसी सहयोग के 11 करारों पर हस्ताक्षर किये गये जिनमें दोनों देशों के आर्थिक एवं कारोबारी रिश्तों को नई ऊँचाई तक ले जाने का प्रयास किया गया। इस मौके पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, संचार मंत्री मनोज सिन्हा, विदेश सचिव विजय गोखले आदि मौजूद थे।
बैठक के बाद संयुक्त प्रेस वक्तव्य में पीएम मोदी ने कहा, “मुझे प्रसन्नता है कि हमने अपने समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते को उन्नत करने की दिशा में आज अर्ली हारवेस्ट पैकेज के रूप में एक ठोस कदम उठाया है। अपने संबंधों के भविष्य और विश्व में हो रहे तीव्र तकनीकी बदलावों को देखते हुए हमने साथ मिल कर इनोवेशन कोऑपरेशन सेंटर की स्थापना और फ्यूचर स्ट्रेटजी ग्रुप के गठन करने का भी निर्णय लिया है।”
LIVE : PM @narendramodi with South Korean President @moonriver365 at a joint press meet. https://t.co/hCVWGzzKnb
प्रधानमंत्री ने कहा कि दक्षिण कोरिया की आर्थिक और सामाजिक प्रगति विश्व में अपने आप में एक अनूठा उदाहरण है। वहां के जनमानस ने दिखाया है कि यदि कोई देश एक समान विज़न और उद्देश्य के प्रति वचनबद्ध हो जाता है तो असंभव लगने वाले लक्ष्य भी प्राप्त किए जा सकते हैं। कोरिया की यह प्रगति भारत के लिए भी प्रेरणादायक है।
उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि दक्षिण कोरिया की कंपनियों ने भारत में न सिर्फ़ बड़े स्तर पर निवेश किया है, बल्कि मेक इन इंडिया मिशन से जुड़ कर भारत में रोजगार के अवसर भी पैदा किये हैं। कोरियाई कंपनियों ने गुणवत्ता के प्रति अपनी वचनबद्धता से कोरियाई उत्पाद के लिए भारत के घर-घर में अपनी पहचान बनाई है।
दोनों देशों ने जिन समझौतों पर हस्ताक्षर किये उनमें व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सेपा) में समुद्री उत्पादों के व्यापार को सुगम बनाने के लिए बात करने पर सहमति बनी है। व्यापार संकट समाधान के करार में एंटी डंपिंग, सब्सिडी और एक दूसरे के उत्पाद पर शुल्क और संरक्षणवादी कदमों पर बातचीत एवं सहयोग के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।
भावी रणनीति समूह के गठन के करार पर भी हस्ताक्षर किये गये जिसके अंतर्गत अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी आधारित वाणिज्यिक परियोजनाओं खासकर इंटरनेट ऑफ थिंग्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डाटा, स्मार्ट फैक्टरी, त्रिआयामी प्रिंटिंग, इलेक्ट्रिक वाहन, बुजुर्गों एवं विकलांगों के लिए एडवांस मैटेरियल और किफायती स्वास्थ्य सेवाआें के बारे में मिल कर काम करने पर सहमति कायम हुई है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान, वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय शोध, रेलवे के विकास में सहयोग, जैवप्रौद्योगिकीय एवं जैवआर्थिकी, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, दो हजार साल पहले अयोध्या की राजकुमारी सूरीरत्ना के बारे में एक परियोजना पर भी मिल कर काम करने के करार किये गये।
पीएम मोदी ने कहा कि आज की हमारी बातचीत में हमने न सिर्फ़ अपने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार भी खुल कर साझा किए। हमारी बातचीत के परिणाम स्वरूप एक विज़न स्टेटमेंट जारी किया जा रहा है।
उन्होंने कहा,“ हमारा फोकस अपनी विशेष रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर है। इस संबंध का एक स्तम्भ हमारे आर्थिक और व्यापारिक संबंध हैं। आज कुछ देर बाद हम दोनों देशों के प्रमुख शीर्ष अौद्योगिक प्रतिनिधियों से मिलेंगे। मुझे आशा है कि हमारे व्यापार एवं निवेश संबंधों को और मजबूत करने के लिए हमें उनसे अच्छे सुझाव मिलेंगे।”
उन्होंने कहा, “ मैं समझता हूँ कि नीतिगत स्तर पर, भारत की एक्ट ईस्ट नीति और दक्षिण कोरिया की न्यू सदर्न स्ट्रेटजी में स्वाभाविक एकरसता है। और मैं राष्ट्रपति मून के इस विचार का हार्दिक स्वागत करता हूँ कि भारत और कोरिया गणराज्य के संबंध उनकी न्यू सदर्न स्ट्रेटजी का एक आधार स्तम्भ हैं।”
पीएम मोदी ने कोरियाई प्रायद्वीप में स्थिति को संकट से उबारने में श्री मून के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप की शांति प्रक्रिया को गति देने का, उसे पटरी पर बनाये पर रखने का और उसमें प्रगति का, पूरा श्रेय राष्ट्रपति मून को जाता है। उन्होंने कहा, “मैं मानता हूँ कि जो सकारात्मक वातावरण बना है, वह राष्ट्रपति मून के ही अथक प्रयासों का परिणाम है। इस प्रगति के लिए मैं राष्ट्रपति मून का अभिनंदन करता हूँ। आज की हमारी बातचीत में मैंने उन्हें बताया कि पूर्वोत्तर एशिया और दक्षिण एशिया के परमाणु प्रसार संबंध भारत के लिए भी चिंता का विषय हैं। इसलिए इस शांति प्रक्रिया की सफ़लता में भारत भी एक हिस्सेदार है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि क्षेत्र में तनाव कम करने में जो भी सहयोग हो सकेगा, हम अवश्य करेंगे। इसलिए हमने अपने परामर्श और समन्वय की गति बढ़ाने का निर्णय लिया है। सचिव स्तर के टू प्लस टू डायलॉग और मंत्री स्तर की संयुक्त आयोग की आगामी मुलाकातें इस सन्दर्भ में काफी महत्वपूर्ण होंगी।
भारत एवं कोरिया के संबंधों की पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए कहा कि शायद कम ही लोग जानते हैं कि भारत और कोरिया का संबंध एक प्रकार से पारिवारिक संबंध है। सदियों पहले अयोध्या की एक राजकुमारी, प्रिंसेस सूरी-रत्ना, की शादी कोरिया के राजा से हुई थी। आज भी कोरिया में लाखों लोग अपने आप को उनका वंशज मानते हैं। आधुनिक काल में भी, भारत और कोरिया का मजबूत संबंध रहा है। कोरिया में युद्ध के समय, भारत की पैराशूट फील्ड एम्बुलेंस यूनिट के काम की सराहना आज भी होती है।
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति मून की यात्रा के लिए आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि लगभग एक साल पहले उनकी पहली बार राष्ट्रपति मून से भेंट हैम्बर्ग में जी-20 शिखर बैठक के समय हुई थी। उन्होंने उस समय उन्हें भारत आने का निमंत्रण दिया था। उन्होंने कहा, “आज पूरा विश्व कोरियाई प्रायद्वीप में हो रहे घटनाक्रम को बहुत बारीकी से देख रहा है। ऐसे में, उन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच भारत की यात्रा के लिए समय निकाला है। और इसलिए मैं उनका विशेष रूप से अभिनंदन करता हूँ।”
इससे पहले राष्ट्रपति मून का राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में रस्मी स्वागत किया गया। वह शाम को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से भेंट करेंगे। राष्ट्रपति ने मेहमान नेता के सम्मान में भोज का आयोजन किया था।