विधायकों की शिकायत के बाद डीएसआईआईडीसी की कमान संभालेंगे सत्येंद्र जैन

दिल्ली में सत्ताशीन आम आदमी पार्टी के नेताओं और अधिकारियों के बीच हर दिन तकरार की नई वजह सामने आ रही है;

Update: 2017-07-16 02:05 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली में सत्ताशीन आम आदमी पार्टी के नेताओं और अधिकारियों के बीच हर दिन तकरार की नई वजह सामने आ रही है। दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ विवाद के बाद सरकार दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के कामकाज से नाखुश होने के बाद इसकी कमान अपने हाथ में लेने में जुट गई है।

हाल ही में दिल्ली विधानसभा में कई विधायकों ने डीएसआईआईडीसी द्वारा उनके इलाकों की अनाधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्य ना होने की शिकायत भी की थी। इसके बाद दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने विधायकों को भरोसा दिलाया था कि वे विभाग की कार्यशैली को सुधारेंगे और विकास कार्य शुरू करवाएंगे।

सरकार ने इसके लिए फॉर्मूला तैयार किया है कि अब इसका मुखिया किसी नौकरशाह के बजाय दिल्ली के उद्योग मंत्री को बनाया गया है। दिल्ली के लोक निर्माण व उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन को डीएसआईआईडीसी चेयरमैन का पद भार दिया जा जा रहा है।

उच्च पदस्थ अधिकारियों की माने इस बाबत प्रस्ताव राज निवास भेज दिया गया है और राजनिवास से उसे मंजूरी मिल गई है। हालांकि औपचारिक तौर पर इसका ऐलान नहीं हुआ है लेकिन अटकलें जरूर हैं। इसके बाद तय है कि मौजूदा चेयरमैन आईएएसअधिकारी केआर मीणा अब सिर्फ प्रबंध निदेशक के पद पर कामकाज देखेंगे। वहीं चेयरमैन का पद सत्येंद्र जैन से पहले कांग्रेस सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल में मुस्तफाबाद से विधायक हसल अहमद को दिया गया था।

घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता कहते हैं कि दिल्ली सरकार के राजनैतिक नेतृत्व व नौकरशाही  में कोई सामंजस्य नहीं है। आप सरकार सरकारी अधिकारियों से काम लेने में अक्षम साबित हुई है। आम आदमी पार्टी को यह पता होना चाहिए कि अच्छे लोक प्रशासन के लिए राजनैतिक नेतृत्व व प्रशासनिक अधिकारियों के मध्य रचनात्मक सहयोग अति आवश्यक हैं जो इस सरकार में कहीं दिखाई नहीं दे रहा। लगता है इसी कारण सरकार नए नए तरीकों से लोक निर्माण विभाग, दिल्ली जलबोर्ड आदि अलग-अलग सरकारी विभागों के उच्च अधिकारियों को बेइज्जत कर रही है। इससे दिल्ली के लोगों का कोई भला होने वाला नहीं है। अच्छा हो राजनैतिक नेतृत्व व सरकारी तंत्र रचनात्मक सहयोग से दिल्ली की समस्याओं के समाधान का प्रयास करें।     

 

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