हॉस्टल के बच्चों के लिए वेतन से जुटाई सुविधाएं

आज जहां शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े कर्मचारी अधिकारियों द्वारा वेतन-भत्ते की मांगों को लेकर आए दिन आंदोलन हड़ताल की खबरें सामने आती रहती हैं;

Update: 2018-01-02 14:08 GMT

अजा बालक आश्रम सरकंडा के हॉस्टल अधीक्षक विजय कुमार बने मिसाल

बिलासपुर। आज जहां शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े कर्मचारी अधिकारियों द्वारा वेतन-भत्ते की मांगों को लेकर आए दिन आंदोलन हड़ताल की खबरें सामने आती रहती हैं वहीं शहर में एक शख्स ऐसा भी है जिसने अपने सेवाकाल की शुरूआत स्कूली बच्चों के लिए सुविधाएं जुटाने और उनकी तकलीफें दूर करने से की। अनुसूचित जाति बालक आश्रम सरकंडा के हॉस्टल अधीक्षक विजय कुमार पनोरेची ने सन् 2017 के अगस्त में ज्वाइनिंग के बाद अपने वेतन से जर्जर हॉस्टल की काया ही पलट दी। उन्होंने हॉस्टल के टॉयलेट, बाथरूम को दुरूस्त कराया, हॉस्टल का रंग-रोगन कराने के अलावा बच्चों के टीवी, खेल सामग्री भी खरीदी हॉस्टल में पहले चूल्हे में खाना पकता था। उन्होंने बिना देरी किए गैस चूल्हे की व्यवस्था की। परिसर में सब्जी की खेती शुरू की ताकि बच्चों को ताजी सब्जी उपलब्ध हो सके। उन्होंने इसके लिए सरकारी मदद का इंतजार किए बिना सब कार्य नि:स्वार्थ भाव से किया जो एक मिसाल है। इसके पहले अपने पदस्थापना वाले स्थानों सीपत, मल्हार, मस्तूरी में स्वयं के खर्च से बच्चों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

मूलत: सीपत रांक निवासी श्री पनोरेची ने बताया कि सन् 2005 में उनकी नियुक्ति बतौर शिक्षाकर्मी सीपत में हुई थी, वहां के स्कूल में उद्यान का निर्माण कराया। सन् 2010 में परीक्षा उत्तीर्ण कर वे हॉस्टल अधीक्षक के रूप में मल्हार में पदस्थ हुए, यहां दो साल के कार्यकाल में उन्होंने बगैर किसी मदद के खुद वेतन से हॉस्टल में अनेक कार्य किए। श्री पनोरेची ने बताया कि शुरू से ही उन्हें बच्चों से बेहद लगाव रहा। हॉस्टल में असुविधाएं, समस्याओं को देख वे परेशान रहते थे, तब उन्होंने खुद सारी खामियां दूर कर सुविधायुक्त हॉस्टल बनाने का निर्णय लिया। हालांकि वेतन से सब कुछ करना काफी मुश्किल कार्य था लेकिन उन्होंने धीरे-धीरे काफी कुछ किया।

दो साल पश्चात वे मस्तूरी के प्री-मैट्रिक हॉस्टल में आए, यहां की हालत भी बेहतर नहीं थी। उनसे यथा संभव यहां के बच्चों के लिए जो हो सका उन्होंने करने का प्रयास किया। वर्तमान में मल्हार, मस्तूरी के हॉस्टल के बच्चे काफी खुश हैं। पिछले दिनों हॉस्टल का निरीक्षण करने सहायक आयुक्त पहुंचे थे, उन्होंने हॉस्टल को चकाचक देखकर खुशी जाहिर की और सफाई व्यवस्था इसी तरह बनाए रखने को कहा। वर्तमान में सरकंडा के इस हॉस्टल में 50 बच्चे रहते हैं। श्री पनोरेची ने प्रभार सम्हालते ही हॉस्टल के सभी कमरों की रंग-रोगन कराया। बच्चों के लिए कैरम, बैडमिंटन, रैकेट, टीवी आदि खरीदा। हॉस्टल की बदतर हालत सुधारने में उन्हें 3 माह लग गए। उन्होंने बताया कि हॉस्टल परिसर में उन्होंने सब्जी भी लगाए हैं।

आलू, बैंगन, टमाटर व अन्य सब्जियों की आपूर्ति यहीं से हो जाती है। हॉस्टल परिसर को हरा-भरा बनाने नर्सरी से पौधे खरीदकर उनका रोपण किया है। अब सड़क, पानी टंकी बनवाने की मंशा श्री पनोरेची ने बताई कि हॉस्टल में अब ठीक-ठाक सड़क और पानी टंकी की व्यवस्था करना उनका लक्ष्य है। वहीं गेट पर आदिम जाति कल्याण विभाग हॉस्टल का बोर्ड लगवाना है। उनकी इच्छा है कि प्राइमरी से मीडिल स्कूल के बच्चों के लिए 50 सीटें बढ़ाई जाए इसके लिए विभाग से मांग रखने की बात उन्होंने कही। उनके अभी तक किए गए कार्यों को सभी से सराहना मिल रही है। लेकिन हॉस्टल अधीक्षक को अबसे ज्यादा खुशी बच्चों को खुश देखकर मिली है।

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