भीषण गर्मी में पानी को मोहताज राजधानीवासी

रायपुर ! नगर निगम के लाख दावे के बाद भी भीषण गर्मी में लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है। राजधानी के कई झुग्गी इलाके सहित रिहाइशी इलाकों में पानी की बेहद कमी है।;

Update: 2017-05-11 04:52 GMT

झुग्गी बस्तियों के लोग ज्यादा प्रभावित, टैंकरों से नहीं मिल रहा पर्याप्त पानी, रसूखदारों को की जा रही सप्लाई
रायपुर !   नगर निगम के लाख दावे के बाद भी भीषण गर्मी में लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है। राजधानी के कई झुग्गी इलाके सहित रिहाइशी इलाकों में पानी की बेहद कमी है। नलों से पर्याप्त पानी नहीं आने के कारण पानी के लिए राजधानीवासी तरस रहे हैं। वहीं आयुक्त और महापौर दिखावे के नाम पर चेकिंग कर अपना दायित्व निभाते नजर आ रहे हैं।
शहर के रामनगर, नेहरूनगर, पंडरी ईरानी डेरा, गुढिय़ारी, नयापारा, ईदगाहभाठा आदि क्षेत्रों में इन दिनों पानी की भीषण कमी है। नगर निगम सभी क्षेत्रों में केवल दो टैंक ही नलों से पानी प्रदाय कर रहा है। वहीं टंकियों को पर्याप्त मात्रा में नहीं करने से नलों से कम पानी आने की शिकायत लगातार आ रही है। चूंकि बस्तियों में हाल सबसे बुरा है यहां लोगों के घरों में नल नहीं है वहीं कई क्षेत्रों में लोग केवल टैंकरों के सहारे पानी पर निर्भर है। नगर निगम के टैंकर इन दिनों प्रभावशाली लोगों की प्यास बुझाने में लगे हुए हैं। जिससे गरीब तबके के लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है वहीं कई इलाकों में नलों से पतली धार में 15 से 20 मिनट तक ही पानी आ रहा है जिससे शहर भर में पानी के लिए त्राही-त्राही का माहौल निर्मित हो गया है। ईरानी डेरा में हाल काफी बुरा है। यहां केवल एक टैंकर से पानी की आपूर्ति की जा रही है। जिससे लोगों को पीने एवं नित्य कर्म के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है।
उल्लेखनीय है कि नगर निगम में महापौर सुनील सोनी के कार्यकाल में 300 करोड़ की जल आवर्धन योजना शुरु की थी जो बढक़र 450 करोड़ से भी अधिक हो चुकी है लेकिन अब तक शहर के कई क्षेत्रों में पाइप लाइन नहीं बिछ पाई है वहीं कई टंकियों का निर्माण होने के बाद भी उसे शुरु नहीं किया गया है। नगर निगम ने छोटापारा स्थित ऐतिहासिक विशाल पानी की टंकी को स्टेडियम विस्तार के नाम पर तोड़ दिया वहीं कई टंकियां कम पानी के भराव के चलते बेकार साबित हो रही है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी नगर निगम लोगों को पर्याप्त पानी नहीं दे पा रहा है। वहीं टैक्स के रुप में हर परिवार से निगम 2400 रुपए वार्षिक वसूल रहा है। नगर निगम की इस कार्यशैली से वार्ड पार्षद एवं शहरवासी दोनों नाराज है।

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