शांति-विकास होने तक चैन नहीं,विकास की रौशनी से डरते हैं नक्सली : डॉ. रमन सिंह

रायपुर ! मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि देश में नक्सलवाद के खिलाफ अंतिम लड़ाई छत्तीसगढ़ में होगी। बस्तर अंचल में नक्सल विरोधी अभियान जारी रहेगा।;

Update: 2017-04-29 05:06 GMT

जनता की खुशहाली के लिए करते रहेंगे बेहतर से बेहतर काम
रायपुर !  मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि देश में नक्सलवाद के खिलाफ अंतिम लड़ाई छत्तीसगढ़ में होगी। बस्तर अंचल में नक्सल विरोधी अभियान जारी रहेगा। वहां जनता की बेहतरी के लिए शांतिपूर्ण विकास होने तक हम चैन से नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा नक्सलियों को सबसे ज्यादा डर विकास की रौशनी से लगता है। वे अंधेरे के पुजारी हैं। उन्हें विकास की रौशनी पसंद नहीं है। उन्हें सडक़, पुल-पुलिया और शिक्षा जैसी सुविधाओं का विकास पसंद नहीं है, लेकिन सरकार बस्तर जैसे इलाकों में जनता की बेहतरी के लिए हर प्रकार के विकास के कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने आज देर शाम विधानसभा में सुकमा जिले के बुरकापाल की नक्सल घटना पर विपक्ष द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को लेकर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। उन्होंने नक्सलियों की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता पर प्रहार करते हुए कहा-हमारा लोकतंत्र इतना कमजोर नहीं है कि उसे कोई बंधक बना सके। डॉ. सिंह ने सवाल उठाया-जिस माओवाद की बात वो करते हैं, आज चीन में कहा हैं वह माओवाद? हिन्दुस्तान के लोग और छत्तीसगढ़ के लोग हिंसा में कभी विश्वास नहीं करते। मुख्यमंत्री ने बस्तर इलाके में हो रहे विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा-सार्वजनिक क्षेत्र में नगरनार का इस्पात संयंत्र वहां अगले छह माह में शुरू हो जाएगा। राज्य सरकार ने दंतेवाड़ा और सुकमा में एजुकेशन हब का निर्माण किया है, जहां हजारों बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। वहां के एजुकेशन हब को देखेंगे तो आप सम्मोहित हो जाएंगे। बीजापुर के अस्पताल में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के साथ हमने 26 डॉक्टरों और लगभग 100 पैरामेडिकल स्टाफ की पोस्टिंग की है। स्वास्थ्य, सडक़, बिजली, पानी और शिक्षा की सुविधा देना ये हमारी नीति है। लगभग 14 साल से हमारी सरकार है। जब तक हम सरकार में हैं, जनता की बेहतरी के लिए बेहतर से बेहतर काम करेंगे। बस्तर के 1300 गांवों में बिजली नहीं थी, अब वहां करीब 868 गांवों में बिजली आ चुकी है। शेष 432 गांवों में भी जल्द से जल्द बिजली पहुंचाने के लिए हम लोग काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा-सुकमा जिले के बुरकापाल की नक्सल घटना निश्चित रूप से काफी पीड़ादायक है। हमने अपने वीर जवानों को खोया है। हम सबकी संवेदनाएं उनके परिवारों के साथ है। सभी लोगों को नक्सलियों की विकास विरोधी मानसिकता का विरोध करना चाहिए। डॉ. रमन सिंह ने कहा-नक्सलवाद के खिलाफ हमारी नीति बिल्कुल स्पष्ट है। हमने नीतिगत फैसला लिया है। पहला तो यह कि आतंकवाद और नक्सलवाद से कोई समझौता नहीं करना है। लोकतंत्र की रक्षा के लिए अंतिम दम तक लड़ाई जारी रखेंगे और प्रभावित इलाकों में विकास के लिए लगातार काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा-जगदलपुर-सुकमा-दोरनापाल-जगरगुण्डा की 56 किलोमीटर सडक़ का निर्माण में केन्द्रीय और राज्य सुरक्षा बलों के सहयोग से किया जा रहा है। लगभग 56 किलोमीटर की सडक़ बन रही है।
इस सडक़ के साथ ही बस्तर अंचल में बन रही सडक़ों के निर्माण में सुरक्षा देते हुए हमारे जवानों ने अपनी शहादत दी है। उन्होंने देश के लिए अपनी शहादत दी है। मैं उनकी शहादत को नमन करता हूं। यह दुनिया के इतिहास की एक ऐसी सडक़ है, जिसे जवानों ने अपने खून से सींचा है। उस सडक़ की माटी को मैं नमन करना चाहूंगा। मैं हमारे जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए उनके बीच जाता हूं। मुख्यमंत्री ने कहा-बस्तर अंचल में पिछले एक साल में हमने 200 किलोमीटर सडक़ों का निर्माण पूरा कर लिया है। लगभग दो हजार किलोमीटर सडक़ें वहां बन रही है। सीआरपीएफ, आईटीबीपी, कोबरा बटालियन सहित पुलिस और सुरक्षा बलों के जवान सडक़ों के निर्माण में श्रमिकों को सुरक्षा देने का कार्य काफी मेहनत से कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा-राज्य सरकार के विकास कार्यों से सुकमा जैसे इलाके में भी जनता में विश्वास जागृत हुआ है। उन्होंने लोक सुराज अभियान के तहत हाल ही में सुकमा जिले की अपनी यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा-सुकमा से केरलापाल तक मैं सडक़ मार्ग से गया। केरलापाल वही स्थान है, जहां तत्कालीन कलेक्टर को किडनेप किया गया था। वहां सन्नाटा रहता था, लेकिन जब लोक सुराज के दौरान समाधान शिविर में मैं पहुंचा, तो वहां दो-तीन हजार लोग मौजूद थे और आवेदन लेकर खड़े थे। उनमें सरकार के प्रति भरोसा जागा है। लोक सुराज के दौरान दोरनापाल में शबरी नदी पर 500 मीटर के पुल के लोकार्पण में मैंने देखा-पुल निर्माण की खुशी में हजारों लोग वहां नाच-गा रहे थे। सीमावर्ती ओडि़शा के लोग भी आए थे। मैं लगभग चार साल केन्द्रीय मंत्री रहा और 14 साल से मुख्यमंत्री हूं। एक पुल के लोकार्पण में इतनी खुशी मैंने 18 साल के अपने मंत्रित्व के दौरान अब तक नहीं देखा था। डॉ. रमन सिंह सदन में अपने भाषण के दौरान वर्ष 2013 की झीरम घाटी की नक्सल घटना को याद करते हुए भावुक हो उठे। उन्होंने कहा-उस घटना में हमने राज्य के कई वरिष्ठ नेताओं को खोया है। बस्तर के शेर हमारे साथी महेन्द्र कर्मा को हमने खोया है। डॉ. सिंह ने सदन में मौजूद दंतेवाड़ा की विधायक और स्वर्गीय श्री महेन्द्र कर्मा की धर्मपत्नी श्रीमती देवती कर्मा का उल्लेख करते हुए कहा कि हम सब उनकी पीड़ा को महसूस करते हैं। यह घटना काफी दुखद थी।
 नक्सलवाद की वजह से वहां हजारों कार्यकर्ताओं की शहादत हुई है। चाहे झीरम घाटी की घटना हो, चाहे 75 जवानों की शहादत और अभी हाल ही में बुरकापाल की घटना, इन सब घटनाओं में हुई शहादत रील की तरह मेरी आंखों के सामने घूमती हैं और कई बार इस बारे में सोचकर मैं रात को सो भी नहीं पाता। मुख्यमंत्री ने कहा-बुरकापाल की घटना में शहीद जवानों के परिवारों को हम सब मिलकर यह भरोसा दिलाए कि हम सब उनके साथ हैं। डॉ. रमन सिंह ने अपने भाषण के प्रारंभ में बस्तर अंचल में नक्सलवाद के इतिहास को भी याद किया। उन्होंने कहा-इसकी शुरूआत संयुक्त आंध्रप्रदेश के समय 1948 से हुई। शासन-प्रशासन से बस्तर के मूल निवासियों का विश्वास उस समय खण्डित हुआ, जब तत्कालीन बस्तर रियासत के शासक प्रवीरचंद्र भंजदेव की गोलीमार कर हत्या कर दी गई। उनके साथ हजारों आदिवासियों की हत्या हुई। प्रवीरचंद्र भंजदेव माई दंतेश्वरी के पुजारी थे। इस घटना के बाद जब वारंगल से लोग निकलकर छत्तीसगढ़ में प्रवेश करते हैं, तब से हमारे यहां नक्सलवाद की समस्या पैदा हुई। डॉ. सिंह ने कहा-जो हमारे संविधान में विश्वास नहीं करते, जो हमारे राष्ट्रध्वज का विरोध करते हैं, जो पंचायत के चुनाव से लेकर पार्लियामेंट के चुनावों का विरोध करते है, ऐसे लोग जनता के हितैषी नहीं हो सकते।
 

 

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