समस्याओं का पर्याय बना मनेन्द्रगढ़ का रेलवे स्टेशन

रेलवे स्टेशन मनेन्द्रगढ़ आमजनों के लिये परेशानी का सबब बना हुआ है यहां सिर्फ लोगों को एक मात्र सुविधा है और वह है;

Update: 2018-04-27 12:29 GMT

मनेन्द्रगढ़।  रेलवे स्टेशन मनेन्द्रगढ़ आमजनों के लिये परेशानी का सबब बना हुआ है यहां सिर्फ लोगों को एक मात्र सुविधा है और वह है यहां दो तीन गाड़ियों का स्टॉपेज है इसके अलावा यहां असुविधाओं का अंबार लगा हुआ है। रेलवे प्रशासन को आमजनों की परेशानी से कोई मतलब नही है।

ऐसे में यदि लोगों का जनाक्रोश कभी भी भड़का तो आखिर इसकी जवाबदेही किसकी होगी। मनेन्द्रगढ़ रेलवे स्टेशन में प्रतिदिन चिरमिरी-बिलासपुर, चिरमिरी-रीवा, चिरमिरी-कटनी, चिरमिरी-चंदिया, मनेन्द्रगढ़-अंबिकापुर, चिरमिरी-दुर्ग गाड़ियों के साथ अंबिकापुर-मनेन्द्रगढ़, बिलासपुर-चिरमिरी, दुर्ग-चिरमिरी, रीवा-चिरमिरी, चंदिया से चिरमिरी, कटनी-चिरमिरी सवारी गाड़ियों का आवागमन होता है।

इन गाड़ियों से प्रतिदिन सैकड़ों यात्री सफर करते हैं। इन यात्रियों के लिये स्टेशन परिसर में मूलभूत सुविधाओं का अभाव लंबे समय से बना हुआ है। यात्रियों को सुविधा दिलाने में तो रेलवे द्वारा किसी प्रकार की कोई पहल नही की जाती। 

रेलवे अधिकारियों ने यह जानने का प्रयास किया कि बिलासपुर- चिरमिरी सवारी गाड़ी जिसमें 18-20 बोगियॉ रहती हैं और इसमें सैकड़ों की संख्या में यात्री मनेन्द्रगढ़ रेलवे स्टेशन उतरते हैं। यह गाड़ी जब प्लेटफार्म क्र. 1में खड़ी होती है तो किसी प्रकार यात्री मुख्य द्वार से बाहर निकल पाते हैं।

लेकिन जब यही ट्रेन प्लेटफार्म क्र. 2 में खड़ी होती है तब उन यात्रियों से रेलवे पुल पार कर मुख्य द्वार तक पहुंचते हैं उनकी परेशानी पूछी जा सकती है। जो कुलियों के अभाव के कारण अपना सामान लादकर अपने परिवार जनों को समेटकर बमुश्किल मुख्य द्वार तक पहुंच पाते हैं।

रेलवे को स्टेशन के मुख्य द्वार पर कम से कम 4-5 टीटी खड़े करना चाहिये जिससे यात्रियों के टिकट का परीक्षण हो सके। लेकिन जमाना हो गया मनेन्द्रगढ़ के लोगों ने रेलवे स्टेशन में आज तक टीटी के दर्शन ही नही किये। इसके अलावा अगर रेलवे को फाटक बंद करने में सहूलियत है तो उसे कम से कम मनेन्द्रगढ़ रेलवे स्टेशन में4-6 कुलियों की नियुक्ति करनी चाहिये जो यात्रियों का सामान प्लेटफार्म क्र. 2 के अगले हिस्से से रेलवे पुल को पार करते हुये मुख्य द्वार के बाहर निकालकर ऑटो तक छोड़ सके। अव्यवस्थाओं के बीच आना जाना शहर के लोगों की नियति बन चुकी है।जिससे लोगों के मन में काफी आक्रोश पनप रहा है। 

आज भी प्लेटफार्म क्र. 1 व प्लेटफार्म क्र. 2 में 4-6 बोगियॉ रेलवे ट्रेक के बीच ही खड़ी रहती है जिसके कारण आम यात्रियों, बुजुर्ग महिलाओं और बच्चों को जान जोखिम में डालकर रेल पात के बीच उतरना पड़ता है। ऐसे में कई बार यात्री दुर्घटना का भी शिकार हो चुके हैं।

स्टेशन में अंग्रेजों के जमाने का बना हुआ शौचालय का उपयोग कौन करता है यह भी अपने आप में अनुत्तरित सवाल है। स्टेशन में बैठने के लिये पर्याप्त कुर्सियॉ नही हैं। शेड का अभाव तो इस स्टेशन की पहचान है। स्टेशन में साफ सफाई होते ही लोगों को इस बात का आभास हो जाता है कि बड़े साहब आने वाले हैं। क्या साफ सफाई में आने जाने का अधिकार आम यात्रियों को नही है। 

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