राहुल गांधी ने भारत बंद का किया समर्थन

राहुल गांधी ने कहा प्रधानमंत्री की झूठी क़समों और झूठे वादों ने आज हमारे आदिवासी और दलित भाई-बहन को सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया;

Update: 2019-03-05 17:56 GMT

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज दलित और जनजातीय समूहों के राष्ट्रव्यापी बंद का समर्थन किया है, जिसमें जनजाति समूह के वन अधिकारों के और तदर्थ शिक्षकों की नौकरी की सुरक्षा के लिए अध्यादेश लाने की मांग की जा रही है।

राहुल ने ट्वीट किया, "हमारे आदिवासी और दलित भाई-बहन संकट में हैं। प्रधानमंत्री की झूठी कसमों और वादों ने आज उन्हें सड़क पर उतरने को मजबूर कर दिया। उनके जंगल और जीवन के अधिकार पर निरंतर हमला हुआ है। वन अधिकार छीने जाने से। संवैधानिक अधिकार में छेड़छाड़ से। मैं पूरी तरह से उनके साथ हूं।"

हमारे आदिवासी और दलित भाई-बहन संकट में हैं|

प्रधानमंत्री की झूठी क़समों और झूठे वादों ने आज उन्हें सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया है। उनके जंगल और जीवन के अधिकार पर निरंतर हमला हुआ है|

वन अधिकार छीने जाने से।संवैधानिक आरक्षण में छेड़छाड़ से|

मैं पूरी तरह से उनके साथ हूँ| https://t.co/X7uQVYZEHM

— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 5, 2019


 

इस बंद का वाम दलों, राजद और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया है। दलित और जनजातीय समूह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नए 13-पॉइंट रोस्टर प्रणाली का विरोध कर रहे हैं, जिसके अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए नौकरियों की संख्या में कमी आई है।

राहुल ने फरवरी में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को इस बाबत पत्र लिखा था और विश्वविद्यालयों में फैकल्टी के आरक्षण तंत्र के लिए '200 पॉइंट रोस्टर प्रणाली' बहाल करने की मांग की थी।

नई 13-पॉइंट रोस्टर प्रणाली के तहत शिक्षकों की आरक्षण नीति और भर्ती प्रक्रिया के लिए प्रत्येक विभाग को एक इकाई माना जाता है। जबकि पहले की प्रणाली के अनुसार, आरक्षण व भर्ती के लिए पूरे विश्वविद्यालय को एक इकाई माना जाता था।

आंदोलन कर्मी इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय के रोके गए उस निर्णय पर अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं, जिसमें 16 राज्यों में वन भूमि से जनजातीय और अन्य वनवासियों के 10 लाख परिवारों को हटाने के निर्देश दिए गए थे।

सर्वोच्च न्यायालय ने 13 फरवरी को वनभूमि पर अवैध कब्जा किए हुए जनजातीय को हटाने का निर्देश दिया था, लेकिन 28 फरवरी को अदालत ने अपने फैसले पर रोक लगा दी थी।

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