बंदी से खदान प्रभावित गांवों में बढ़ेंगी समस्याएं
जिले की सबसे पुरानी बाँकी उपक्षेत्र के खदानों को बंद कर देने से जहां कर्मचारियों पर स्थानांतरण जैसी कार्यवाही से परेशानी बढ़ी है उससे कहीं ज्यादा समस्या प्रभावित विस्थापित ग्रामों में आने वाली है;
कोरबा। जिले की सबसे पुरानी बाँकी उपक्षेत्र के खदानों को बंद कर देने से जहां कर्मचारियों पर स्थानांतरण जैसी कार्यवाही से परेशानी बढ़ी है उससे कहीं ज्यादा समस्या प्रभावित विस्थापित ग्रामों में आने वाली है ।
इसे लेकर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर निराकरण की मांग रखी है। गौरतलब है कि वर्ष 1963 में बाँकीमोंगरा की अंडर ग्रांउड खदान रशियन तकनीक से बनायी गयी जिले की सबसे पुरानी खदान को बंद कर दिया गया है। वहां पर नियोजित कर्मचारियों को अन्यत्र स्थान्तरित कर दिया गया है। इस खदान से प्रभवित मड़वा ढोढ़ा, पुरैना, बाँकी बस्ती सहित आसपास के गाँवों की समस्या और भी बढ़ने वाली है । इस क्षेत्र का जल स्तर नीचे चला गया है, तालाब, कुआं, हैंडपंप से पानी नहीं मिल पाता है।
एसईसीएल द्वारा पाइप लाइन बिझाकर पानी सप्लाई किया जाता है। खेती-किसानी के लिए खदान से बाहर फेंके जाने वाले पानी का उपयोग किया जाता है किन्तु खदान बंद होने के साथ ही धीरे-धीरे सारी सुविधाएं छिन जाने का सकंट सामने दिखाई दे रहा है । यही नहीं इन क्षेत्रों के बेरोजगार ठेका कार्यो में रोजगार प्राप्त कर रहे थे, वह भी समाप्त हो चुका है । अब आने वाले दिनों में क्षेत्र के व्यवसाय पर भी विपरीत प्रभाव पड़ने वाला है। माकपा ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर इन समस्यायों की ओर ध्यान दिलाते हुए निराकरण की मांग किया है। ज्ञापन सौपते वक्त माकपा प्रतिनधि मंडल में लोकल कमेटी सचिव प्रशांत झा, जवाहर सिंह कंवर, नंदलाल, सुराज सिंह, शिवरतन शुकवारा बाई आदि शामिल थे।