हॉर्ट बीट सिटी के निवेशकों ने रखी समस्याएं
निवेशकों की समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रतिदिन बैठकों का दौर जारी है;
नोएडा। निवेशकों की समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रतिदिन बैठकों का दौर जारी है। बुधवार को इंदिरा गांधी कला केंद्र में सेक्टर-107 स्थित आम्रपाली हार्ट बीट सिटी के निवेशकों ने अपनी समस्या प्राधिकरण अधिकारियों के समक्ष रखी।
प्राधिकरण ने बिल्डर को निवेशकों की समस्याओं का निस्तारण करने के साथ जल्द से जल्द लिखित जवाब प्राधिकरण में जमा करने निर्देश दिए। वहीं, नियोजन विभाग को निर्देश दिए कि वह मौके पर जाकर निर्माण सामग्री व ले आउट प्लान की पूरी जांच कर प्राधिकरण में रिपोर्ट जमा करे। बायर्स ने बताया कि, बिल्डर ने 2011 में फ्लैटों की बुकिंग फरवरी 2011 में शुरू की थी। बुकिंग के दौरान बिल्डरों ने तीन साल में पजेशन देने का वादा किया था।
लेकिन आज तक उन्हें कब्जा नहीं मिला है। साथ ही बिल्डर की साइट पर काम भी बंद पड़ा हुआ है। बायर्स ने मांग की कि, उन्हें लिखित रूप में एक समय सीमा दी जाए की बिल्डर उन्हें कब फ्लैट देगा। बिल्डर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, राजेन्द्र स्टेट की याचिका से उनका भूखंड लिटीगेशन से रहा। साथ ही जून 2016 में न्यायालय के आदेश के बाद विवाद खत्म हुआ। इसके चलते निर्माण में देरी हो रही है। साथ ही इश बीच कंस्ट्रक्शन की लागत भी बढ़ गई है। इस पर प्राधिकरण ने बिल्डर को टावर वार कंपलिशन शेड्यूल 10 दिनों में प्राधिकरण में जमा करने के लिए कहा।
बायर्स ने प्राधिकरण को बताया कि, बिल्डर द्वारा दो फेज में निर्माण किया जा रहा है। बिल्डर द्वारा कॉमन एरिया, जैसे क्लब, स्विमिंग पुल आदि किस फेज में और कब दी जाएगी। इश पर बिल्डर ने फेज-2 में कॉमन फैसेलिटी देने के लिए कहा। बायर्स ने प्राधिकरण से यह भी मांग की कि, बिल्डर का जो ले आउट प्लान स्वीकृत किया गया है, उसकी प्रति दी जाए।
अगर बिल्डर ने दोबारा ले आउट परिवर्तित करने के लिए दिया है तो उसकी प्रति भी दी जाए। साथ ही बिना बायर्स की सहमति के ले आउट प्लान न बदला जाए। प्राधिकरण ने बायर्स को बताया कि, 5 मई 2017 को बिल्डर ने स्वीकृत नक्शा के अलावा मैप रिविलाइजेशन के लिए आवेदन किया है। इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
बिल्डर ने प्राधिकरण से यह भी मांग की कि, बिल्डर ने बायर्स से कितना पैसा अब तक लिया है और कितना पैसा परियोजना में लगाया है, इसकी जानकारी भी उन्हें मुहैया की जाए।
बायर्स ने यह भी कहा कि, उनकी परियोजना का मालिक कौन है इसकी जानकारी बायर्स को नहीं है। बिल्डर ने बताया कि, उक्त कंपनी में चार कंपनिया एवं व्यक्ति अंशधारक है। बायर्स द्वारा पूछा गया कि, इश परियोजना में आम्रपाली का क्या रोल है तो बायर्स को बताया कि इसमें आम्रपाली का 25 फीसदी शेयर है।
बायर्स ने अपने फ्लैट वापस पर एग्जिट पॉलिसी के अंतर्गत ब्याज सहित पैसा वापस लौटाने की मांग भी की। बायर्स ने बताया कि, साइट पर निर्माण कार्य काफी लंबे समय से बंद है, इसलिए स्ट्रक्चर का ऑडिट कराया जाए। बिल्डर ने कहा कि, निर्माण में कोई कमी नहीं है। इसलिए उन्हें ऑडिट कराने में कोई आपत्ति नहीं है।