पीएम मोदी ने वी.एस. नायपॉल के निधन पर शोक जताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नोबेल पुरस्कार विजेता लेखक वी.एस. नायपॉल के निधन पर शोक जताया;

Update: 2018-08-12 15:07 GMT

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नोबेल पुरस्कार विजेता लेखक वी.एस. नायपॉल के निधन पर शोक जताया। नायपॉल की जड़ें भारत से जुड़ी हुई थीं। 

मोदी ने ट्वीट कर कहा, "वी.एस. नायपॉल को इतिहास, संस्कृति, उपनिवेशवाद, राजनीति और विभिन्न विषयों में अपने व्यापक कार्यों के लिए याद किया जाएगा।" 

Sir VS Naipaul will be remembered for his extensive works, which covered diverse subjects ranging from history, culture, colonialism, politics and more. His passing away is a major loss to the world of literature. Condolences to his family and well wishers in this sad hour.

— Narendra Modi (@narendramodi) August 12, 2018


 

उन्होंने कहा, "साहित्य की दुनिया के लिए उनका निधन एक बड़ा नुकसान है। इस दुख की घड़ी में उनके परिवार और शुभचिंतकों को सांत्वना।" 

नायपॉल (85) की पत्नी ने उनके निधन की पुष्टि कर कहा कि उनका निधन शनिवार को लंदन में हुआ। 

उन्होंने जारी बयान में कहा, "उन्होंने जो कुछ हासिल किया था वह बहुत बड़ा था और वह अपने आखिरी वक्त में उन लोगों के साथ थे, जिनसे वह प्यार करते थे। उन्होंने रचनात्मकता और उद्यमिता से भरी जिंदगी जी।" 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी उनके निधन पर दुख जताते हुए कहा, "उनकी किताबें कैरीबियन और उसके बाद उनके घरों में विश्वास, उपनिवेशवाद और मानव स्थिति की अन्वेषणकारी खोज हैं।" 

कोविंद ने ट्वीट कर कहा, "लेखन और भारतीय-अंग्रेजी साहित्य के लिए बड़ा नुकसान।"

Sad to learn of the passing of V.S. Naipaul whose books are an penetrative exploration of faith, colonialism and the human condition, in his home in the Caribbean and beyond. A loss for the world of letters and for the broader school of Indo-Anglian literature #PresidentKovind

— President of India (@rashtrapatibhvn) August 12, 2018


 

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी नायपॉल के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि शब्दों की दुनिया ने कला का मास्टर खो दिया।

विद्याधर सूरज प्रसाद नायपॉल का जन्म 1932 में त्रिनिडाड और टोबैगो द्वीप के चगुआनास में हुआ था। इनका परिवार 1880 के दशक में भारत से यहां आया था।
 

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