प्लेटफार्म में मूलभूत सुविधाएं नहीं, यात्री परेशान
कोल परिवहन एवं यात्री किराये के रूप में प्रतिवर्ष दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे को करोड़ों रूपये की आय देने वाले मनेन्द्रगढ़ के लोगों को आज भी रेलवे प्लेटफार्म;
मनेन्द्रगढ़। कोल परिवहन एवं यात्री किराये के रूप में प्रतिवर्ष दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे को करोड़ों रूपये की आय देने वाले मनेन्द्रगढ़ के लोगों को आज भी रेलवे प्लेटफार्म में मूलभूत सुविधाओं के लिये परेशान होते देख यह अनुमान लगाया जा सकता है कि विभागीय अधिकारी इस क्षेत्र की कितनी उपेक्षा कर रहे हैं। लोगों को यह देखकर हैरत होती है कि आज भी बरसते पानी में सैकड़ों यात्री ट्रेन से चढ़ते और उतरते हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेलवे की कथनी और करनी में कितना अंतर है।
चिरमिरी-अनूपपुर रेलखंड के मध्य स्थित मनेन्द्रगढ़ रेलवे स्टेशन में आज भी मूलभूत सुविधाओं का टोंटा है। छोटी छोटी सुविधाओं के लिये यात्री मोहताज हैं। खासकर परेशानी तब बढ़़ती है जब वर्षाकाल होता है। इस दौरान चार महीने तक यात्रियों को होने वाली परेशानी स्टेशन परिसर में ही जाने पर समझ में आती है। ६० हजार से अधिक आबादी वाले इस क्षेत्र में आम लोगों के आवागमन के लिये मनेन्द्रगढ़ में रेलवे स्टेशन बनाया गया है। यहां प्लेटफार्म के नाम पर दो लंबे चबूतरे बना दिये गये हैं जिसमें पुराने चबूतरे पर छोटे छोटे तीन शेड व नये चबूतरे पर एक शेड लगाकर रेलवे ने यह मान लिया कि मनेन्द्रगढ़ के लोगों का इतने में ही काम चल जायेगा। जबकि इस प्लेटफार्म से न केवल मनेन्द्रगढ़ वरन् आसपास के सैकड़ों गांव के लोग ट्रेन पकड़ते हैं। शेड विहीन रेलवे प्लेटफार्म में जाने वाले यात्रियों को भींगते हुये ट्रेन पकड़नी पड़ती है वहीं प्लेटफार्मर् में पानी जमा हो जाने से कीचड़ भी होता है जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
और ऐसा लगता है कि रेलवे विभाग को किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार है। क्योंकि लंबी लड़ाई के बाद प्लेटफार्म क्र. २ चालू तो कर दिया गया लेकिन आज तक उसका पूरा फर्शीकरण नही किया गया, उसमें शेड नही लगाया गया, यात्रियों के बैठने के लिये कोई व्यवस्था नही की गई। तो ऐसे में साफ है कि रेलवे यात्रियों के धैर्य की परीक्षा ले रहा है।
उल्लेखनीय है कि मनेन्द्रगढ़ रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली गाड़ियॉ २० से अधिक बोगियों के साथ आवागमन करती हैं। ऐसे में आगे एवं पीछे की बोगियों में चढ़ने वाले यात्रियों को वर्षाकाल में होने वाली परेशानी का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। वहीं हैरत वाली बात तो यह है कि दोनों ही प्लेटफार्म की लंबाई इतनी नही है कि इस मार्ग से गुजरने वाली सवारी गाड़ियों की पूरी बोगियॉ प्लेटफार्म में आ जायें जिसके चलते यात्रियों को रेलपात में उतरना पड़ता है जो कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकता है। प्लेटफार्म क्र. १ की लंबाई कम होने के कारण लोगों ने सोचा था कि नये प्लेटफार्म को रेलवे के बड़े इंजीनियर व अधिकारी पूरी लंबाई का बनायेंगे जिससे ट्रेन की पूरी बोगियों में सवार यात्री प्लेटफार्म से चढ़ और उतर सकें। लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि प्लेटरफार्म क्र. २ बनाया तो गया लेकिन उसकी भी लंबाई कम कर दी गई जिसके चलते यात्रियों को रेलपात में उतरना पड़ता है। यहां पीड़ा तब और बढ़ जाती है।
जब यात्रियों के साथ उनके परिवारजन, बुजुर्ग माता-पिता और उनके छोटे बच्चें होते हैं।