गहलोत ने पायलट गुट के नेताओं को दी सत्ता में भागीदारी
अशोक गहलोत लम्बे समय से अपने मंत्रिमंडल का विस्तार टाले हुए हैं.कांग्रेस आलाकमान भी गहलोत को लगातार निर्देश दे रहा है कि वो जल्दी ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करें. जिससे सरकार में सचिन पायलट समर्थकों को शामिल किया जा सके. लेकिन गहलोत इसके लिए तैयार नहीं हो रहे.;
गहलोत की पायलट से नाराजगी नई नहीं है.इसी नाराजगी को दूर करने की कोशिश अब अशोक गहलोत की ओर से होना शुरू हो गई है. इसकी शुरुआत विधानसभा की कमेटियों में पायलट गुट की भागीदारी से हुई है. सचिन पायलट को विधानसभा की एथिक्स कमेटी में शामिल किया गया. पायलट गुट के ही नेता दीपेंद्र सिंह शेखावत को एथिक्स कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. पायलट समर्थक रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को इस कमेटी का सदस्य मनोनीत किया गया. इसके साथ ही नाराज होकर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले पायलट गुट के विधायक हेमाराम चौधरी को विधानसभा की राजकीय उपक्रम समिति का अध्यक्ष बना दिया गया है. जिससे साफ है कि हेमाराम का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ और उन्हें मना लिया गया. पायलट गुट के विधायक इंद्रराज गुर्जर, वेद प्रकाश सोलंकी, मुरारी मीणा और हरीश मीणा को भी विधानसभा की समितियों में शामिल किया गया है. इसके साथ ही गहलोत ने संकेत दिए हैं कि जल्दी ही वो मंत्रिमंडल का विस्तार करने वाले हैं जिसमें पायलट गुट के विधायकों को भी जगह दी जाएगी. राजनीतिक नियुक्तियों में भी पायलट समर्थकों का ध्यान रखा जाएगा. इन सब के बीच कांग्रेस नेतृत्व ने जिला कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति का मामला अपने हाथों में ले लिया है. कांग्रेस नेतृत्व ने जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए सीधे जिला प्रभारियों से नाम मांगे हैं. इनकी नियुक्ति सीधे दिल्ली से किए जाने के संकेत दे दिए हैं. जिससे साफ है कि पायलट का वजन एक बार फिर से राजस्थान की सियासत में बढ़ता दिख रहा है.