स्वच्छता सर्वेक्षण ने खोली नीतीश सरकार की पोल : भाजपा
पटना ! भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज कहा कि स्वच्छता पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाली बिहार की नीतीश सरकार की स्वच्छता पर जारी हुई सर्वे रिपोर्ट ने पोल खोल दी है।;
पटना ! भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आज कहा कि स्वच्छता पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाली बिहार की नीतीश सरकार की स्वच्छता पर जारी हुई सर्वे रिपोर्ट ने पोल खोल दी है।
विधानसभा की लोकलेखा समिति के सभापति एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने आज यहां कहा कि बड़ी-बड़ी बात करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्वच्छता सर्वेक्षण ने कलई खोल दी है। उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण में न केवल शीर्ष 10 बल्कि टाॅप 100 में भी राज्य का कोई शहर नहीं शामिल हो सका। साफ-सफाई और जनसुविधाओं का अभाव झेल रही राजधानी पटना की स्थिति तो और भी बद्तर है और सर्वे में वह 262वें पायदान पर है।
श्री यादव ने कहा कि हद तो यह हो गयी कि मुख्यमंत्री के गृह जिला नालंदा का मुख्यालय बिहारशरीफ 147वें पायदान पर है, जिसे बिहार का सबसे साफ-सुथरा शहर माना गया। भारतीय गुणवत्ता परिषद ने देश के 434 शहरों का सर्वेक्षण किया जिसमें बिहार के 27 जिले शामिल थे।
भाजपा नेता ने कहा कि गुरूपर्व के अवसर पर राज्य सरकार ने अपनी पूरी मशीनरी को साफ-सफाई के काम में झोंक कर वाहवाही लूटने का प्रयास किया था लेकिन उसके बाद वही ढाक के तीन पात ने असलियत को उजागर कर दिया। साफ-सफाई, सीवरेज निर्माण और सौन्दर्यकरण के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च होने के बावजूद सर्वेक्षण का यह ‘प्रमाणपत्र’ राज्य सरकार का असली चेहरा दिखाता है।
श्री यादव ने कहा कि दरससल राजधानी में यूरिनल और शौचालय बनाने की योजना कागज पर ही दौड़ती रही है। 70 के दशक में सार्वजनिक स्थानों पर बनाये गये 50 मूत्रालय कब के ध्वस्त हो गये। वर्ष 2013 से लेकर अब तक कई बार यूरिनल बनाने का योजना बनी लेकिन वह फाइलों तक सिमटी रही। 130 अल्ट्रा मॉडर्न डीलक्स शौचालय निर्माण की योजना भी खटाई में है।
भाजपा नेता ने कहा कि पटना नगर निगम तो महागठबंधन और विशेषकर जदयू का राजनीतिक अखाड़ा बना हुआ है। शह-मात के खेल में महापौर और निगम प्रशासन के उलझे रहने के कारण शहर का बेड़ा गर्क हो रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा कराये गये सर्वेक्षण का प्रमाण पत्र राजधानी की वास्तविकता का सही आईना है। बिहार में निकायों के चुनाव की बजी दुदुंभी के बीच सर्वेक्षण रिपोर्ट सरकार के दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही से बनी राजधानी की नारकीय स्थिति ने पटना को स्मार्ट सिटी की श्रेणी में जाने पर भी आशंका पैदा कर दी है।