ओवैसी ने लोकसभा में फाड़ी नागरिकता विधेयक की प्रति

आल इंडिया मजलिस ए इतिहादुल मुसिलमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी ने ‘नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019’ का विरोध करते हुए लोकसभा में सोमवार को विधेयक की प्रति को फाड़ दिया;

Update: 2019-12-10 02:13 GMT

नई दिल्ली। आल इंडिया मजलिस ए इतिहादुल मुसिलमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी ने ‘नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019’ का विरोध करते हुए लोकसभा में सोमवार को विधेयक की प्रति को फाड़ दिया।

श्री ओवैसी ने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए इसे भारतीय संविधान की आत्मा के विरुद्ध बताया और कहा कि यह कानून मजहब की बुनियाद पर तैयार किया गया है और मुसलमानों के खिलाफ है। उन्होंने सरकार से पूछा कि वह बताए कि उसे मुसलमानों से किस बात की नफरत है।

उन्होंने कहा कि सरकार मुसलमानों के साथ भेदभाव कर रही है और इस विधेयक को लाकर सरकार एक और बंटवारे की नींव रख रही है। विधेयक को देश लिए खतरा बताते हुए उन्होंने कहा “यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने वाला विधेयक है और देश को विभाजित करने का प्रयास है। महात्मा गांधी ने नागरिकता कार्ड को फाड़ा था इसलिए मैं इस विधेयक को फाड़ता हूं।”

इससे पहले विधेयक को चर्चा के लिए पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस विधेयक में 2014 तक भारत आने वाले धार्मिक आधार पर पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान में प्रताडि़त हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और ईसाई संप्रदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने कहा कि पहले कम से कम 11 साल देश में रहने के बाद इन्हें नागरिकता के लिए आवेदन का अधिकार था। अब इस समय सीमा को घटाकर पाँच साल किया जा रहा है।

इसमें कहा गया है कि 31 दिसंबर 2014 तक बिना वैध दस्तावेजों के इन तीन देशों से भारत में प्रवेश करने वाले या इस तिथि से पहले वैध रूप से देश में प्रवेश करने और दस्तावेजों की अवधि चूक जाने के बाद भी अवैध रूप से यहीं रहने वाले छह संप्रदायों के लोग नागरिकता के आवेदन के पात्र होंगे।

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