वित्त विधेयक के जरिये कई कानूनों में संशोधन करने का विपक्ष ने किया विरोध

विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने वित्त विधेयक के माध्यम से कई अधिनियमों में संशोधन करने के सरकार के कदम का लोकसभा में आज कड़ा विरोध किया;

Update: 2017-03-21 18:30 GMT

नयी दिल्ली।  विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने वित्त विधेयक के माध्यम से कई अधिनियमों में संशोधन करने के सरकार के कदम का लोकसभा में आज कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध है और इनके लिए उसे अलग से विधेयक लाने चाहिए।

वित्त वर्ष 2017-18 के बजट के वित्तीय प्रस्तावों को अमल में लाने से संबंधित वित्त विधेयक को वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा सदन में चर्चा के लिए पेश किये जाने पर रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि इसमें 40 कानूनों में संशोधन करने का प्रावधान किया गया है, जो संवैधानिक दृष्टि से उचित नहीं है।

भारतीय संसद के इतिहास में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिये डाक अधिनियम, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, सेबी अधिनियम, कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम, कम्पनी अधिनियम, कॉपीराइट अधिनियम आदि 40 अधिनियमों में संशोधन किया जाना है।

सरकार को यदि इन कानूनों में संशोधन करना है तो उसे अलग-अलग विधेयक लाने चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी चर्चा के विभिन्न कानूनों में संशोधनों को वित्त विधेयक के माध्यम से सभी पर थोपा जा रहा है, जो पूरी तरह अनुचित है। 
 

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