चार वर्षों में केवल 5 फीसदी युवाओं को नसीब हुआ रोजगार

मप्र सरकार की जिले में शिक्षा के अवसर बढ़ाकर जन-जन को शिक्षित करने की कवायद आदिवासी बहुल जिले शहडोल के युवाओं को रोजगार मुहैया कराने में नाकाम सिद्ध रही है;

Update: 2018-10-18 00:03 GMT

शहडोल। मप्र सरकार की जिले में शिक्षा के अवसर बढ़ाकर जन-जन को शिक्षित करने की कवायद आदिवासी बहुल जिले शहडोल के युवाओं को रोजगार मुहैया कराने में नाकाम सिद्ध रही है।  जिलें में रोजगार की बात करे तो विगत चार सालों में सवा लाख से भी अधिक युवा रोजगार कार्यालय में पंजीकृत हुए है, लेकिन इनमे से केवल 6 हजार यानी  5 फीसदी बेरोजगारों को ही रोजगार मिल पाया है।

इस आकड़ों को देखते हुए युवकों के अंदर अब रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराने से ही मोहभंग होता जा रहा है। 

नाकामी की गवाही देते आंकड़े

सन् 2015 से लेकर सन् 2018 तक के चार वर्षों में कुल 1 लाख 39 हजार 576 युवक व युवतियों का पंजीयन हुआ था। इसमें 1 लाख 2 हजार 148 पुरुष तथा 37 हजार 428 महिलाएं थीं। वर्षवार अगर तस्वीर देखी जाए तो सन् 2015 में पंजीकृत पुरुष 49617, महिलाएं 14985 पंजीकृत हुईं। सन् 16 में  पुरुषों की संख्या 20 हजार 63 और महिलाएं 8 हजार 69 पंजीकृत हुईं। सन् 17 में पुरुष पंजीयन 18 हजार 402 और महिलाएं 7 हजार 907 रहीं। सन् 18 में पुरुष पंजीयन 14 हजार 66 रहा जबकि महिला पंजीयन 6 हजार 467 रहा।
देखा जा सकता है कि साल दर साल दोनो वर्गों की पंजीयन से रुचि कम हो रही है और दोनो में  गिरावट आई है। चार वर्षों के अंतराल में युवतियों को रोजगार मिलने की दशा और खराब है।  झेल रहे हैं। वर्षवार आंकड़ों की बात करे तो 2015 में पुरुष वर्ग में से कुल 14 सौ को जॉब मिला जबकि महिलाओं में से कुल 65 को ही रोजगार प्राप्त हो सका। वर्ष 2016 में 949 युवक व136 युवतियों को रोजगार के अवसर मिल सके। वर्ष 2017 में युवक 1855 और युवतियों में 178 को और वर्ष 2018 में युवक 1882 और युवती 280 को रोजगार उपलब्ध हुआ। 

रोजगार मेले भी बेअसर

बेरोजगारों को जॉब दिलाने प्रशासन  द्वारा प्रति वर्ष रोजगार मेेंलों का आयोजन किया जाता है। जिसमें हजारों की संख्या में युवक युवतियां भाग लेते हैं,लेकिन ये भी बेअसर ही रहे है। मेले में जाब के इच्छुक योग्य उम्मीदवारों की तलाश में देश भर से औद्योगिक इकाइयों, वित्तीय संस्थाओं के पदाधिकारी पहुंचते है, लेकिन उम्मीदवारों को काफी कम वेतन पर रखा जाता है जो युवाओं को रास नहीं आता है और वे नौकरी छोड़कर घर आ जाते हैं। 

युवक व युवतियों को रोजगार से जोडऩे का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इधर कुछ वर्षों से रोजगार का आंकड़ा भी बढ़ा है। लेकिन विभिन्न कारणों से अभी रोजगार से कम लोग जुड़ पा रहे हैं।

 सीमा वर्मा, जिला रोजगार अधिकारी, शहडोल
 

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