अक्सर त्यौहारों में छिनी जाती हैं खुशियां!

त्यौहारों में खरीदारी तो बढ़ती है बाजार भी ठसाठस चलता है। ज्यादातर लोग अपनी सालभर की जरूरतों की चीजें होली-दीपावली पर्वों के समय खरीदकर रख लेते हैं;

Update: 2017-10-13 15:02 GMT

त्यौहारों में खरीदारी तो बढ़ती है बाजार भी ठसाठस चलता है। ज्यादातर लोग अपनी सालभर की जरूरतों की चीजें होली-दीपावली पर्वों के समय खरीदकर रख लेते हैं। बहुत से लोग चावल-दाल नमक मिर्च मसाले भी लम्बे समय तक रखना पसंद करते हैं। त्यौहारों में आम लोगों के साथ कर्मचारी व्यापारी भी मालामाल रहते हैं। कर्मचारियों को वेतन बोनस गिफ्ट मिल जाता है और व्यापारियों को व्यापार का मुनाफा। इसका सीधा असर तो बाजार में दिखता है।

खरीदारी बढ़ती है और भीड़ बढ़ती है और ऐसे समय में यदि यातायात विभाग अथवा नगर निगम अपना नियम कानून कायदे का झंडा लेकर खड़ा हो जाए तो इसे आखिर क्या कहेंगे। त्यौहार में बाजार करने लोग गांव-गांव से गाड़ी में आते हैं। सायकिल, बाइक और जीप मोटर कारें शहर के बाजारों के इर्द-गिर्द खड़ी की जाती है।

सायंकल बाइक वाले दुकानों के सामने पार्किंग करते हैं। व्यापारी दो फुट आगे करके सड़क पर अपना सामान जमाता है। यह चार दिन का बाजार होता है। इसमें लोग अपनी खुशियां खरीदने आते हैं। लेकिन देखा जाता है सरकार का सारा अमला सालभर सोया रहता है और जैसे ही होली-दीवाली आती है जाग जाते हैं। पिछले तीन चार दिनों से रायपुर के पंडरी बाजार की खबरें सुर्खियों में है कि वहां के व्यापारी सड़क घेरकर यातायात में बाधा डाल दिए हैं और लगातार उन पर कार्रवाई चल रही हैं। जबरदस्ती हटाया जा रहा है या जुर्माना किया जा रहा है या फिर चेतावनी दी जा रही है।

बेतरतीब पार्किंग पर आम लोगों की सैकड़ों गाड़ियां यातायात गाड़ी जब्त कर थाने पहुंचा रही है और खुशी-खुशी बाजार के लिए निकले लोग आंसू बहाते घर लौट रहे हैं। यातायात विभाग या नगर निगम को अपना काम करना चाहिए उससे किसी को कोई शिकायत नहीं किन्तु इसके नाम पर रोटी सेंकी जाए या राजनीति की जाए यह सरासर अन्याय है। अगर खरीदी करने गांव से आए ग्रामीणों की पार्किंग से सरकार को शिकायत है तो रोज करोड़ों की सौगात लुटाने वाले मंत्रियों सांसदों विधायकों  को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।

त्यौहारों में भीड़ होने के बाद भी यातायात पुलिस मंत्रियों के काफिले का रास्ता नहीं बदल सकते अलबत्ता रास्ता देने यातायात रोककर घंटों जाम करते हैं। भला क्यों जरूरी है मंत्रियों का काफिला जनता को रोककर आगे बढ़े। उनका रुट बदला जा सकता है और व्यस्त मार्गों पर काफिला तो होना ही नहीं चाहिए यह मंत्री के विवेक पर भी होना चाहिए। त्यौहारों के समय में लोगों को अनावश्यक परेशान करके नियम कानून की आड़ में अपना स्वार्थ साधना उचित नहीं है।

निगम की कार्रवाई ठीक त्यौहार के समय जब लोग दूरदराज से व्यापार और खरीदी करने आए हैं तब ही हो यह व्यवहार दुखदायी है। सब कुछ नियम धरम से हो यह हम भी चाहते हैं पर सरकार की भेदभाव नीति का समर्थन नहीं किया जा सकता। रायपुर के मालवीय रोड में आज भी शाम के समय ऐसी सरकारी गाड़ियां दिखती हैं जिनमें साहब-अफसर के परिवार खरीदी करते नजर आते हैं वहीं नौकरशाह एक गरीब का सायकल जब्त करके खुश होता है।

छोटे दुकानदानदारों को फुटपाथ से हटाया जाता है। बड़े कारोबारियों के लिए रास्ता तैयार किया जाता है। यह लंगड़ी व्यवस्था गरीबों को जीने नहीं दे रही है और सरकार मरने नहीं देती। त्यौहारों का सुख तो तभी है जब खुशियां न छिनी जाए। त्यौहारों को तो ठीक से मना लेने दो!

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