काम चलाऊ व्यवस्था पर सफाई देते रहे अधिकारी
डीएसपीएम के राखड़ बांध का तटबंध फूटने और आसपास के खेतों में पानी भर जाने की घटना को गंभीरता से लेते हुए विद्युत कंपनी के मुख्य सतर्कता अधिकारी.....;
फूटे राखड़ बांध का अवलोकन करने पहुंचे सीव्हीओ
कोरबा। डीएसपीएम के राखड़ बांध का तटबंध फूटने और आसपास के खेतों में पानी भर जाने की घटना को गंभीरता से लेते हुए विद्युत कंपनी के मुख्य सतर्कता अधिकारी(सीव्हीओ) ने आज मौके पर जाकर लगभग दो घंटे तक अवलोकन किया। इस दौरान काफी कुछ व्यवस्था काम चलाऊ प्रतीत हुई और ऐसी व्यवस्थाओं पर सवालों के जवाब में अधिकारी सफाई पर सफाई देते रहे।
उल्लेखनीय है कि राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र का राखड़ बांध ग्राम गोढ़ी में निर्मित है जिसका एक तटबंध 1 जून की तड़के करीब 4.30 बजे फूट जाने से बड़े पैमाने पर पानी और राख आसपास के खेतों में बह गया। इस मामले पर क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल ने कंपनी प्रबंधन को जहां नोटिस जारी किया है वहीं इससे पहले कलेक्टर ने भी घटना स्थल का अवलोकन कर आवश्यक निर्देश दिये। सोमवार को विद्युत कंपनी के मुख्य सतर्कता अधिकारी राजेश व्यास रायपुर से कोरबा पहुंचे और राखड़ बांध स्थल पर जाकर विभिन्न बिन्दुओं और पहलुओं पर जानकारी ली। डीएसपीएम के सीई एमएस कंवर, राखड़ बांध की देखरेख संबंधी विभाग के अधिकारियों ने श्री व्यास को बताया कि यहां अस्थायी बांध फरवरी माह में बनाया गया है जिसका तटबंध 1 जून को फूटा था। इसके ठीक बगल में पूर्व निर्मित राखड़ बांध है जिसकी ऊंचाई अपेक्षाकृत अधिक होने और एक तरफ का बांध बंद कर देने के कारण पानी ओवर फ्लो होने से निचले अस्थायी बांध में पानी भर गया और दबाव बढ़ने पर कमजोर किनारा टूटने से घटना हुई।
सीव्हीओ ने सवाल किया कि यदि बढ़ा हुआ पानी निकालने की व्यवस्था होती तो यह नौबत नहीं आती? उन्हें बताया गया कि प्लांट से राख मिश्रित पानी आता है जिससे राख छानकर पानी निकालने के लिए 4 लैगून आऊटलेट स्थापित हैं जिनमें से 2 घटना दिनांक के पहले से बंद थे। यदि चारों आऊटलेट खुले रहते तो पानी के साथ राख भी आ जाती है। घटना के बाद चारों लैगून को चालू रखा गया है। यह भी बताया गया कि राखयुक्त पानी बांध में गिराने वाले 4 स्लरी में से 3 स्लरी घटना दिनांक तक चालू थे और घटना के बाद 2 को ही चालू रखा गया है।
खतरे को मापने गेज नहीं, सुरक्षा कर्मी भी नहीं
निरीक्षण के दौरान सीव्हीओ राजेश व्यास ने सवाल किया कि राखड़ बांध का वाटर लेबल नापने के लिए मीटर (गेज) लगा है कि नहीं जिस पर अधिकारियों ने बताया कि ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे जलभराव की क्षमता से ऊपर पानी जाने पर खतरे का पता चल सके। बांध में सॉफ्ट भी नहीं बने हैं। मौके पर कोई सुरक्षाकर्मी भी नहीं होने की जानकारी दी गई जिससे उत्पन्न हालातों पर नजर नहीं रखी जा सकी और तटबंध के कमजोर होने का पता नहीं चला।
जांच के बाद होगी कार्रवाई
सीव्हीओ श्री व्यास ने बताया कि 1 जून को अस्थायी बांध से पानी खेतों में बहा था। घटना के कारणों की जांंच की जा रही है। बांध के ड्राइंग, डिजाईन व अन्य तकनीकी पहलुओं पर जांच की जा रही है। सेनोस्फियर निकालने के लिए एक तरफ का पानी बंद करने के कारण भी घटना की बात कही जा रही है, जिस बिन्दू को भी जांच में रखा गया है। सीई को आवश्यक सुधार करने कहा गया है।