नर्सों की हड़ताल जारी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई
नर्सों के हड़ताल से चले जाने से अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है;
बिलासपुर। नर्सों के हड़ताल से चले जाने से अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। वहीं मरीजों की जिम्मेदारी नर्सिंग छात्राओं के हवाले है। जिससे मरीजों की जान पर बन आई है। वही टे्रनी नर्से भी डर-डर कर काम कर रही है।
छत्तीसगढ़ की नर्से अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई है। इसका असर सिम्स और जिला अस्पताल में नजर आ रहा है। नर्सों की कमी को दूर करने के लिये मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
नर्सिंग कालेजों की छात्राओं की सरकारी अस्पताल में डयूटी लगा दी गई है। पहले यह छात्राएं सीखने के लिये अस्पताल आती थी। लेकिन अब इन नर्सों के हाथों में मरीजों की जान है। मरीज को इंजेक्शन लगाने से लेकर समय पर दवा देने की जिम्मेदारी छात्राओं पर है।
इसके चलते कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है। दूसरी तरफ समान प्रशिक्षण समान कार्यऔर समान वेतन, स्टाफ नर्स को 4600 गे्रड पे व वर्ग 2 का दर्जा, समस्त नस्रिंग कैडर के वेतनमान में वृद्धि नर्सिंग अलाउंस छत्तीसगढ़ राज्य में लागू करने 3-4 इंक्रीमेंट का लाभ समानता से दिया जाये और नर्सिंक आफिसर पदनाम देने हेतु आदेश देने की मांग नर्सें कर रही है। सिम्स के गायनिक वार्ड में पुरुषों का प्रवेश मना है।
उसके बाद भी यहां पुरुष परिजन बार-बार वार्ड में अंदर घुस जा रहे हैं। वहीं गायनिक वार्ड से ओटी में भी पुरुष परिजन मना करने के बाद भी डटे रहते हैं। सिम्स की स्टाफ नर्सों ने बताया कि गायनिक वार्ड में भर्ती महिला के परिजनों को दिन में सिर्फ दो बार मिलने दिया जाता है। बाकी समय पुरुषों का वार्ड में आना मना है। उसके बाद भी परिजन स्टाफ से हुज्जतबाजी करते हैं। वहीं वार्ड सुरक्षा गार्ड मना करने पर भी नहीं मानते।