पांच परियोजना अभियंता को नोटिस जारी
एक तरफ सीएजी द्वारा प्राधिकरण अफसरों की परफारर्मेंस ऑडिट कराया जाना है;
नोएडा। एक तरफ सीएजी द्वारा प्राधिकरण अफसरों की परफारर्मेंस ऑडिट कराया जाना है। दूसरी तरफ प्राधिकरण मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने अपने ही पांच परियोजना अभियंताओं को प्रतिकूल प्रविष्ट नोटिस जारी कर दिया। साथ ही वरिष्ठ परियोजना अभियंता को चेतावनी दी गई है। यह इसलिए क्योंकि इन लोगों ने अपना काम सही ढंग से नहीं किया। आठ महीने में 399 परियोजनाओं में से महज 14 परियोजनाओं का कार्य शुरू हो सका।
कई परियोजनाएं तीन साल से अधूरी है। वहीं, मंत्रियों की समिति की ओर से पूछे गए विकासीय कार्य का जवाब नहीं देना भी इसकी एक वजह मानी जा रही है। इन परियोजना की कुछ लागत 422 करोड़ रुपए है।
शहर के विकास के लिए गत वित्तीय वर्ष में 399 परियोजनाओं पर कार्य किया जाना था। लेकिन महज 14 परियोजनाओं काम शुरू हो सका। इसके अलावा शहर की महत्वपूर्ण परियोजना यमुना नदी के समानान्तर पुल, सेक्टर-18 मल्टीलेवल पार्किंग व एनटीपीसी अंडरपास का काम तीन साल से देरी से चल रहा है। इससे आम लोगों को नुकसान, विवाद व प्राधिकरण के बजट का फिजूल खर्च होना देखा जा रहा है।
लिहाजा मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने पांच परियोजना अभियंता विजय रावल, एमसी त्यागी, बीएम पोखरियाल, सतपाल को प्रतिकूल प्रविष्ट जारी किया गया। वहीं, वरिष्ठ परियोजना अभियंता आरएस यादव को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया। इसके अलावा निर्माण में लगातार हो रही देरी के चलते मुख्य अभियंता होम सिंह यादव व मुख्य परियोजना अभियंता संदीप चंद्रा के कार्यो को लेकर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए कड़ी चेतावनी दी है।
नोटिस के जरिए पूछा गया कि विकासीय कार्यो में देरी की वजह क्या रही। अब तक इन कार्यो की समीक्षा रिपोर्ट क्या है साथ ही देरी से चल रहे कार्यो को आधा अधूरा या फिर निर्माण कार्य समय से पूरा क्यो नहीं करवाया गया। इस पर क्या कार्यवाही की गई। यह नोटिस तब जारी किए गए जब सीएजी द्वारा प्राधिकरण अफसरों के फोरेंसिक अडिट कराने की बात कहीं जा रही है। यह ऑडिट भी परियोजनाओं को लेकर किया जाना है। ऐसे में स्पष्ट है कि प्राधिकरण के कई अफसरों , परियोजना अभियंताओं पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।
मंत्रियों के समिति के समक्ष नहीं दे पाए प्रस्तुतीकरण
हाल ही ग्रेटरनोएडा में मंत्रियों की समिति ने नोएडा के विकासीय कार्यो की समीक्षा की। इस दौरान पूछे गए तमाम सवालों का जवाब देने में प्राधिकरण अधिकारी विफल रहे। परियोजना के शुरू नहीं किए जाने के कारण के बारे में भी कोई जवाब नहीं आने पर मंत्रियों द्वारा प्राधिकरण अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। जिसके बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि प्राधिकरण में कई परियोजना अभियंताओं पर मुख्य कार्यपालक अधिकारी की गाज गिरना तय था।
देरी से चल रही परियोजना
शहर में एक दर्जन से ज्यादा मुख्य परियोजनाओं का निर्माण कार्य चल रहा है। योजनाओं का काम साढ़े तीन साल तक देरी से चल रहा है। इनमें यमुना पर बन रहा पुल इसे एनकेजी कंपनी द्वारा बनाया जा रहा है। इसी तरह एनटीपीसी अंडरपास परियोजना। इस अंडरपास को अब तक खुल जाना चाहिए था। लेकिन पूरा नहीं हो सका। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि अंडरपास के लिए सीवर, जल व बिजली की लाइन बाधा डाल रही थी।
इन विभागों से एनओसी लेने में समय लग गया। आला अधिकारियों को यह समझ नहीं आया कि जब यहा विकास परियोजना प्रस्तावित थी तो पहले यहा लाइनों को शिफ्ट करने की अनुमति क्यों नहीं ली गई। काम शुरू होने के एक साल बाद एनओसी की याद आई। वहीं, सेक्टर-18 में मल्टीलेवल पार्किंग। जिसे प्राधिकरण ने सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए खोल दिया। इसके महज दो फ्लोर पर ही पार्किंग की सुिवधा है। जबकि इसे 3000 वाहनों के लिए बनाया गया। ऐसे में यह काम भी अधूरा है। अब इन कार्यो को करने के लिए कहीं न कहीं अधिक बजट खर्च करना पड़ रहा है।