भाजपा-जदयू की सरकार आने से बिहार में अपराधियों की मौज: कांग्रेस

बिहार कांग्रेस ने नीतीश सरकार को राज्य में बढ़ते अपराध पर लगाम लगाने में विफल बताया और कहा कि जब से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाईटेड (जदयू) गठबंधन की सरकार बनी है तब से अपराधियों की मौज;

Update: 2018-08-29 16:03 GMT

पटना। बिहार कांग्रेस ने नीतीश सरकार को राज्य में बढ़ते अपराध पर लगाम लगाने में विफल बताया और कहा कि जब से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाईटेड (जदयू) गठबंधन की सरकार बनी है तब से अपराधियों की मौज हो गई है।

बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष कौकब कादरी ने आज यहां कहा कि बिहार में जब से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाईटेड (जदयू) गठबंधन की सरकार बनी है तब से अपराधियों की मौज हो गई है। उन्होंने कहा कि महिलाओं से बलात्कार, राहजनी, भीड़ की हिंसा (मॉब लिंचिंग), बैंक लूट और डकैती के मामले में बिहार ने वर्ष 2001 से अब तक के सारे रिकाॅर्ड ध्वस्त कर दिये हैं।

कादरी ने कहा कि महिलाओं को निर्वस्त्र करना, छेड़छाड़ और दुष्कर्म की घटनाएं हाल के दिनों में इतनी बढ़ चुकी है कि महिलाओं में असुरक्षा का डर बैठने लगा है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में न्यायालय परिसर भी अब सुरक्षित नहीं है, जेल सुरक्षित नहीं है तब अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में किस तरह का महाजंगल राज स्थापित है। अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र सहित न्यायालय परिसर में कोई दाखिल हो सकता है। आज बात सिर्फ एक अपराधी की नहीं है, न्यायाधीश भी अदालत में खुद को सुरक्षित महसुस कैसे करेंगे। जब जज ही सुरक्षित नहीं है तो न्याय मिलना और न्याय के शासन की कल्पना ही नहीं की जा सकती।

कादरी ने कहा कि गृह प्रशासन के जिम्मेदार मंत्री स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। अभी सीतामढ़ी न्यायालय में हत्या, मसौढ़ी में अस्थि कलश के साथ फायरिंग और सामाजिक तनाव फैलाया गया, सहरसा में छात्रा के साथ छेड़-छाड़ की वीडियो वायरल, बिहिया, मोतिहारी समेत राज्य के लगभग सभी स्थान पर अपराध करना खेती से भी सरल कार्य बन चुका है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रशासन को दुरूस्त करें अन्यथा जिम्मेवारी लेते हुये अपने पद से इस्तिफा दें। उन्होंने कहा कि दूसरों को अपराधी कह खुद ही अपराध के संरक्षक बने रहने पर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री कुमार को शर्म तो आनी ही चाहिए क्योंकि वे नैतिकता को ताक पर कब का रख चुके हैं।

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