न्यू इंडिया की धारणा है कि 'हम करेंगे' : मोदी
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रसिद्ध 'यस वी कैन' भाषण की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 'न्यू इंडिया' की अवधारणा पेश की;
नई दिल्ली। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रसिद्ध 'यस वी कैन' भाषण की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 'न्यू इंडिया' की अवधारणा पेश की। इस दौरान उन्होंने कहा कि पहले जहां लोग 'विल वी/क्या हम करेंगे?' की धारणा पर चलते थे, वहीं अब लोग 'वी विल/हम करेंगे' के सिद्धांत पर चलते हैं। एक न्यूज कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, "पांच साल पहले लोग पूछते थे कि क्या हम कभी गंदगी से मुक्त हो पाएंगे? क्या हम कभी नीतिगत पंगुता को दूर कर पाएंगे? क्या कभी भ्रष्टाचार को खत्म कर पाएंगे? आज लोग 'विल वी/क्या हम कर सकते हैं' पूछने के बजाय 'वी विल/हम करेंगे' कहते हैं। हम स्वच्छ भारत बनाएंगे। हम भ्रष्टाचार से मुक्त राष्ट्र होंगे। हम सुशासन को एक जन आंदोलन बना देंगे। विल शब्द पहले एक निराशावादी व्यवस्था को दशार्ता था, वहीं अब यह एक युवा राष्ट्र की आशावादी भावना को दर्शाता है।"
From 'will we' to 'we will', India has changed a lot! pic.twitter.com/uWXFv2qJme
उन्होंने जोर देकर कहा कि नए भारत का सार यह है कि हम भारत के लोग किस तरह से स्वार्थ से ऊपर उठे हैं और समाज के हित को देखते हैं। इसी बलिदान की भावना ने महात्मा गांधी को गर्वित किया है।
उन्होंने कहा, "जीरो बैलेंस खाता होने के बावजूद अत्यधिक गरीब लोग जन-धन खातों में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक क्यों जमा करेंगे? हमारा मध्यम वर्ग अपने स्वयं की गैस सब्सिडी क्यों छोड़ देगा? महज एक अनुरोध पर वे अपनी रेलवे रियायतें क्यों छोड़ेंगे? शायद यह गांधीजी द्वारा एक सदी पहले कही गई बात का प्रमाण है। आज लोगों में केवल भारत का परिवर्तन होते देखने की ही ईमानदार इच्छा नहीं है, बल्कि इसमें अपना स्वयं का योगदान भी दिया जा रहा है। कोई आश्चर्य नहीं कि करदाताओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश उन परिवर्तनों का साक्षी है, जो पहले अकल्पनीय थे। उन्होंने कहा, "यह सोचने वाली बात नहीं थी कि हरियाणा जैसे राज्य में सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती पारदर्शी तरीके से हो सकती है। लेकिन हरियाणा के किसी भी गांव में जाएं तो लोग भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की बात कर रहे हैं।"
Here is what makes me happy about the spirit of New India. pic.twitter.com/JBsFg2ORJQ
मोदी ने आगे कहा कि नया भारत कुछ चुनिंदा लोगों के लिए नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक व्यक्ति की आवाज है।
मोदी ने कहा, "आज हम देख रहे हैं कि प्रत्येक नागरिक राष्ट्र के लिए कुछ करना चाहता है। प्रत्येक नागरिक देश के लिए कुछ योगदान देना चाहता है। जैसे एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक को खत्म करना केवल नरेंद्र मोदी का विचार नहीं है, बल्कि इसे देश के लोगों ने अपनाया है। हम भारत को एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक से मुक्त बनाने के विचार से दो अक्टूबर को गांधीजी की 150वीं जयंती मनाएंगे। ये असाधारण समय है और हमें ऐसा कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहिए, जिससे हम अपने देश को बदल सकें।"
In today's India, the surname of a person does not matter. It is the ability to make one's name that does.
This is an India where corruption is not an option. Competence is the norm. pic.twitter.com/PiduD3MhA9
मोदी ने पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कई वर्षों तक एक ऐसी संस्कृति कायम रही जहां आम आदमी की आकांक्षाएं एक बुरा शब्द बनकर रह गई। तब अवसर केवल कुछ चुनिंदा लोगों को ही उपलब्ध थे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में चीजें बेहतर हो रही हैं। उन्होंने कहा, "न्यू इंडिया सहभागी लोकतंत्र, लोगों की खुद की सरकार और सक्रिय नागरिकता के बारे में है। न्यू इंडिया उत्तरदायी लोगों के साथ ही उत्तरदायी सरकार का युग है।"
उन्होंने नए भारत की जीवंतता को बढ़ाने के लिए युवा पीढ़ी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि नए भारत में सरनेम कोई मायने नहीं रखता, बल्कि केवल श्रेष्ठ होना ही मायने रखता है।
-