न्यायालय ने किसान आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर सरकार को रोडमैप तैयार करने का आदेश दिया

नयी दिल्ली ! उच्चतम न्यायालय ने देश भर में किसानों द्वारा आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए केन्द्र सरकार से आज पूछा कि वह इस समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठायेगी?;

Update: 2017-03-27 21:57 GMT

नयी दिल्ली  !  उच्चतम न्यायालय ने देश भर में किसानों द्वारा आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए केन्द्र सरकार से आज पूछा कि वह इस समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठायेगी? 
मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने कहा कि सरकार उसे चार सप्ताह के भीतर बताये कि वह इस समस्या के निपटारे के लिए क्या कदम उठायेगी? 
न्यायालय ने कहा कि यह महत्वपूर्ण और गंभीर मुद्दा है, जिसका जवाब देने के लिए केन्द्र सरकार ने दो सप्ताह का समय मांगा था, लेकिन मामले में विस्तृत जवाब की जरूरत को देखते हुए केन्द्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया जाता है। 
पीठ ने कहा कि सरकार को एक ऐसी नीति बनानी चाहिये जो किसानों द्वारा उठाये जाने वाले आत्मघाती कदमों के कारणों का निदान कर सके। 
न्यायालय ने देशभर में कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए एक रोडमैप तैयार करने का आदेश दिया है। 
शीर्ष अदालत ने कहा कि सिर्फ मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देना काफी नहीं है। आत्महत्या की वजहों को पहचानना और उनका हल निकालना जरूरी है। इस मसले पर न्यायालय ने पिछले महीने केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किये थे। पीठ एक गैर सरकारी संगठन ‘सिटीजन्स रिसोर्स एंड एक्शन एंड इनिशिएटिव’ की याचिका पर सुनवाई कर रही है। 
न्यायालय ने कहा कि यह समस्या दशकों से चली आ रही है, लेकिन अभी तक इसकी वजहों से निपटने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है और न ही कोई कार्यकारी योजना तैयार की गई है। 
हालांकि केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी एस नरसिम्हन ने दलील दी कि 2015 की फसल बीमा योजना से आत्महत्या के मामलों में बड़ी कमी आई है। दरअसल, देश के तमाम राज्यों में किसान फसलों की बर्बादी और कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या करने को मजबूर हैं। 
उल्लेखनीय है कि देश में किसान कर्ज और कम पैदावार के कारण लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की हालिया रिपोर्ट के तथ्य नये सिरे से इस आशंका की पुष्टि करते हैं कि कर्जदारी और दिवालिया होना किसान-आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह है। 

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