राम की नगरी ओरछा में 'नमस्ते का शोर'

बुंदेलखंड के ओरछा को दूसरी अयोध्या माना जाता है, यहां राम भगवान नहीं बल्कि राजा हैं।;

Update: 2020-03-08 19:04 GMT

ओरछा | बुंदेलखंड के ओरछा को दूसरी अयोध्या माना जाता है, यहां राम भगवान नहीं बल्कि राजा हैं। सरकार ने इस स्थान को देश और दुनिया में विशिष्ट पहचान दिलाने के मकसद से भव्य आयोजन किया है। तीन दिनी इस आयोजन में राम की चर्चा तो कम हुई, मगर 'नमस्ते' का शोर ज्यादा सुनाई दिया, क्योंकि इस आयोजन को 'नमस्ते ओरछा' नाम दिया गया था।

राज्य सरकार के संस्कृति विभाग ने तीन दिवसीय समारोह का आयोजन किया, इस आयोजन के पीछे मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंशा ओरछा को देश और दुनिया के मानचित्र पर विशिष्ट पहचान दिलाने की रही है। यही कारण है कि उन्होंने ओरछा की तस्वीर बदलने के साथ आने वाले पर्यटकों को लुभाने के पर्याप्त इंतजाम करने के निर्देश दिए, मगर नौकरशाही ने वह नहीं किया, जो मुख्यमंत्री की मंशा थी और जिससे यहां के लोगों की भावना से जुड़ी थी।

स्थानीय लोग कहते हैं कि आयोजन की जब तैयारी चल रही थी तब इस बात का भरोसा था कि ओरछा में होने वाला आयोजन 'राम' के इर्द-गिर्द ही होगा, मगर ऐसा हुआ नहीं। अगर राम की चर्चा हुई भी तो वह सिर्फ रस्म अदायगी तक रही। राम को अयोध्या से ओरछा तक कैसे लाया गया, इस पर आधारित सिर्फ एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।

भाजपा के जिलाध्यक्ष अखिलेश अयाची कहते हैं, "यह आयोजन सिर्फ कुछ अधिकारी और अन्य लोगों के लिए था, ऐसा लगता है, क्योंकि यहां के लोगों के जीवन का हिस्सा है रामराजा, मगर यह आयोजन उनसे पूरी तरह दूर रहा। यह आयोजन यहां की संस्कृति के खिलाफ रहा, यहां के लोग अभिवादन राम-राम से करते हैं, मगर आयोजन के जरिए नमस्ते थोपने की कोशिश की गई। यह बात यहां के किसी भी व्यक्ति को भाया नहीं है।"

इतना ही नहीं ओरछा के करीब ही स्थित है चंद्रशेखर आजाद का अज्ञात वासस्थल सातार। यहां एक कुटिया बनाकर आजाद रहे थे, उन्होंने एक सुरंग भी बनाई थी। जिला प्रशासन ने इस आयोजन से आजाद से जुड़े स्थल को नहीं जोड़ा तो सुमित ओरछा ने तीन दिन मौन व्रत रखा।

वहीं निवाड़ी के जिलाधिकारी अक्षय कुमार सिंह ने कहा, "आजाद से जुड़े स्थल को आकर्षक रूप दिया गया है, मगर कुछ लोग दुष्प्रचार करने में लगे हैं, उन्हीं लोगों ने ही आजाद के स्थल पर विकास कार्य न करने की बात का दुष्प्रचार किया।"

संस्कृति मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ भी मानती हैं कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यह आयोजन एक सपने को साकार करने के लिए किया। इसलिए जरूरी है कि, राज्य की पुरातात्विक धरोहर को दुनिया में दिखाया जाए, जिससे लोग मध्यप्रदेश में आएं। मध्यप्रदेश विभिन्न भाषाओं का प्रदेश है, यहां विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं। इसलिए उम्मीद है कि नमस्ते ओरछा महोत्सव से प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

ओरछा, राज्य के वाणिज्यक कर मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के गृहजिले का हिस्सा है। वे इस आयेाजन को महत्वपूर्ण मानते हैं, उनका कहना है कि समारोह के उद्घाटन का दिन महत्वपूर्ण था, क्योंकि उस दिन पुष्य नक्षत्र था, इस दिन महारानी गनेश कुंवर राम जी को अयोध्या से ओरछा लायी थीं।

मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहंती ने ओरछा में आने वाले पर्यटकों का जिक्र करते हुए कहा, "ओरछा में एक तिहाई पर्यटक विदेश से आते हैं, बल्कि मध्यप्रदेश में जितने पर्यटक विदेश से आते हैं, उनमें से केवल एक तिहाई ओरछा आते हैं। यहां पर राम राजा मंदिर, रिवर राफ्टिंग, 84 पुरातत्व स्मारक आदि प्रसिद्घ हैं।"

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