नायडूू ने छात्रों की आत्महत्याओं की घटना पर चिंता व्यक्त की
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने दबाव न झेल न पाने के कारण छात्रों द्वारा आत्महत्या किये जाने की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की;
नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने दबाव न झेल न पाने के कारण छात्रों द्वारा आत्महत्या किये जाने की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए आज कहा कि समाज के हर वर्ग को ऐसे छात्रों की मदद के लिए आगे आना चाहिए ताकि ऐसी मौतों को टाला जा सके।
नायडू ने कहा कि अभिभावकों की बड़ी -बड़ी उम्मीदों,बढ़ती प्रतिस्पर्धा और शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा टाप रैंकिंग हासिल करने की चाहत के कारण छात्रों को दबाव का सामना करना पड़ रहा है और उनमें बेचेैनी बढ़ रही है।
नायडू यहां उनसे मिलने आये भारतीय याददाश्त खेल परिषद के एक प्रतिनिधिमंडल को संबोधित कर रहे थे जो चीन के शेनजेन में पिछले माह आयोजित विश्व याददाश्त चैंपियनशिव में चौथा स्थान हासिल करके लौटे हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा ,‘हम अक्सर ऐसे छात्रों की आत्महत्याओं की खबरें सुनते हैं जो दबाव का सामना नहीं कर पाते हैं। मैं जब भी इस तरह की खबरें सुनता हूं ,मुझे अत्यंत क्षोभ होता है क्योंकि ऐसी मौतें टाली जा सकती हैं।
’ उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि संस्थानों ,सरकारों आैर समाज के हर तबके को संकट में पड़े इन छात्रों की मदद के लिए आगे आना चाहिए ताकि कोई आत्महत्या करने के लिए मजबूर न हो।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि रटने पर आधारित शिक्षा प्रणाली से बच्चे विषय की मूल अवधारणा को समझे बगैर सिर्फ परीक्षा देने के लिए विषय को रट लेते हैं जिससे उन्हें दबाव का सामना करना पड़ता है । इससे बचने के लिए स्कूलों में ऐसी तकनीक सिखायी जानी चाहिए जिससे उन्हें विषय को याद रखने में आसानी हो और उन्हें अनावश्यक दबाव का सामना न करना पड़े।
बच्चों के लिए शिक्षा दबावपूर्ण ,नीरस एवं निरर्थक प्रक्रिया की बजाय एक यादगार अनुभव होना चाहिए ।
नायडू ने कहा कि उन्हें यह बताया गया है कि याद करने की तकनीक के प्रशिक्षण से पढ़ाई हव्वा नहीं रहती बल्कि इसमें मजा आता है।
यदि बच्चे इस तकनीक को सीख लें तो वे बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। इससे उन्हें बेहतर ग्रेड भी मिल सकेगा और पढ़ाई से अलग गतिविधियों के लिए भी समय मिल सकेगा जिससे उनके व्यक्तित्व का समग्र विकास हो सकेगा ।