संविधान की पवित्रता भंग कर रही मोदी की आरएसएस सरकार : मायावती

बसपा की प्रमुख मायावती ने न्यायपालिका में आपसी मतभेद के लिए परोक्ष रूप से केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि केंद्र सरकार भाजपा की नहीं, आरएसएस की सरकार है;

Update: 2018-01-15 23:54 GMT

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने न्यायपालिका में आपसी मतभेद के लिए परोक्ष रूप से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि केंद्र सरकार भाजपा की नहीं, आरएसएस की सरकार है, जिसकी विघटनकारी सोच संविधान की पवित्रता को भंग कर रही है। 

मायावती ने यहां सोमवार को पार्टी मुख्यालय में अपना 62वां जन्मदिन मनाया।इसी मौके पर अपनी किताब' मेरा जीवन और संघर्ष' का विमोचन किया। पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रेस वार्ता में कहा,"मोदी सरकार के मंत्री संवैधानिक व कानूनी-व्यवस्था को तहस-नहसकर ने में सक्रिय हैं। तभी तोमोदी जीके मंत्री यह कहने से गुरेज नहीं करते कि बहुत जल्द ही देश के संविधान को बदल दिया जाएगा।ऐसा कहने वाले मंत्री को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, क्योंकि प्रधानमंत्री आरएसएस के दबाव में हैं।

आरएसएस तो ऐसे मंत्री को विशेष तौर से सम्मानित ही करेगा।" उन्होंने कहा," मोदी सरकार व भाजपा जातिवादी व कट्टर वादी जहरीले तत्वों से भरी पड़ी हुई है।ऐसे ही मंत्री व नेताओं की सोच वमंशा को ध्यान में रखकर संविधान निर्माता डॉ.अम्बेडकर ने कहा था कि कोई भी संविधान अच्छाया बुरा नहीं होता, बल्कि संविधानका अच्छा या बुरा हो ना इस बात पर निर्भर करता है कि उस पर अमलकर ने वाले लोग कैसे हैं। उनकी नीयत अच्छी है याबुरी।"

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि अब वास्तव में प्रधान मंत्री मोदी की सरकार भाजपा व एनडीए की सरकार न हो कर पूरे तौर से आरएसएस की सरकार हो कर रह गई है।यह सरकार आरएसएस की नफरत वविघटन कारी सोच के मुताबिक ही अब संवैधानिक व लोकतांत्रिक संस्थानों को भी किसी न किसी प्रकार से प्रभावित कर के हर वह काम करने की कोशिश कर रही है, जो संविधान की मंशा के खिलाफ है और उसकी पवित्रता को भंग करता है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि ऐसी चुनौती पूर्ण स्थिति में देश की संवैधानिक व लोकतांत्रिक संस्थाएं अपनी असली जिम्मेदारी कि सहद तक निभापाएंगी, यह तो आगे आने वाला वक्त ही बताएगा।

लेकिन यह भी एक ऐतिहासिक सच है कि एक समय में जब विपक्ष लगभग न के बराबर रह गया था, उस समय न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका अदाकर रहा थी और देश निश्चिं तथा कि अपने देश में लोकतंत्र की जड़ें काफी मजबूत हैं, लेकिन अब न्यायपालिका खुद ही आप में भिड़ी हुई है और इसके लिए परोक्ष रूप से मोदी सरकार जिम्मेदार। यह स्थिति देश के लिए काफी चिंताजनक है।

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