मोदी ने दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ाने का आह्वान किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के एक कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, मरुस्थलीकरण और भू-क्षरण की समस्या से निपटने के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग को और बढ़ाने की वकालत की;

Update: 2019-09-09 23:03 GMT

ग्रेटर नोएडा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के एक कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, मरुस्थलीकरण और भू-क्षरण की समस्या से निपटने के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग को और बढ़ाने की वकालत की।

प्रधानमंत्री ने यहां मरुस्थलीकरण की चुनौती से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के तहत 14वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप-14) को संबोधित करने के दौरान वैश्विक जल कार्रवाई (ग्लोबल वाटर एक्शन) एजेंडे की अवधारणा सामने रखी।

मोदी ने कहा, "भारत जलवायु बदलाव, जैव विविधता और भूक्षरण जैसे मुद्दों पर दक्षिण-दक्षिण सहयोग बढ़ाने के उपायों का प्रस्ताव रखकर खुशी महसूस कर रहा है।"

उन्होंने कहा कि भूक्षरण का मुद्दा वैश्विक स्तर पर दो तिहाई देशों को प्रभावित कर रहा है। भूक्षरण के मुद्दे से निपटने के समय, जल उपभोग और इसकी कमी के मुद्दे को भी सुलझाया जाना चाहिए।

मोदी ने कहा, "जल पुनर्भरण(वाटर रिचार्ज) को बढ़ाना, मिट्टी की नमी बरकरार रखना समग्र भूमि और जल प्रबंधन का हिस्सा है। मैं यूएनसीसीडी के नेतृत्व से वैश्विक जल कार्रवाई एजेंडा के बारे में विचार करने का आह्वान करता हूं जो लैंड डिग्रेडेशन न्यूट्रेलिटी(एलडीएन) रणनीति के मध्य में है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपनी वन भूमि को बढ़ाने में सक्षम है।

उन्होंने कहा, "भारत ने अकेले 2015 और 2017 के बीच अपने वन क्षेत्र को 8 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि भारत में विकास कार्यो की वजह से काटे जा रहे पेड़ों की भरपाई पौधारोपण करके की जाती है।

प्रधानमंत्री ने सीओपी-14 में मौजूद वैश्विक नेताओं को बताया कि कैसे भारत के पास किसानों को भूमि के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देने के लिए 'भूमि कार्ड (सॉयल कार्ड्स)' हैं।

प्रधानमंत्री ने स्वच्छता और जल संरक्षण प्रयासों के लिए स्वच्छ भारत मिशन को रेखांकित किया।

मोदी ने प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि भारत 2019 से 2030 के बीच अपने भूमि आवरण को बढ़ाएगा।

उन्होंने सिंगल-यूज प्लस्टिक के मुद्दे पर भी सबका ध्यान आकृष्ट किया।

मोदी ने कहा, "स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के अलावा, प्लास्टिक भूमि की उत्पादकता को घटाता है और कृषि के लिए अनुपयोगी है। मेरी सरकार ने घोषणा की है कि भारत आने वाले वर्षो में सिंगल-यूज प्लास्टिक का प्रयोग बंद कर देगा।"

Full View

Tags:    

Similar News